सरकाघाट (मंडी), 01 अक्तूबर : हिमाचल में 14 साल के नन्हें समाजसेवी (Little social worker) ने मानसिक रूप (Mentally ill) से बीमार मां व उसके बेटा-बेटी को नरकीय जीवन (Infernal life) से आजादी दिलवाने का बड़ा बीड़ा उठाया है। किशोर बालक (Adolescent) की इतनी बड़ी सोच को देखकर हर कोई हैरान भी है। अब नन्हें समाजसेवी प्रज्जवल शर्मा का केवल एक ही मकसद (Aim) है कि वो आज के डिजिटल युग में इस तरह का नरकीय जीवन जी रहे तीन इंसानों को मुक्त करवाए। हालांकि छोटी सी उम्र से प्रज्जवल समाजसेवा (Social service) के कार्यों में तत्पर रहता है, लेकिन इस बार बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है।
दरअसल, सरकाघाट उपमंडल की फतेहपुर पंचायत के लुणाधा गांव में एक जर्जर हालत मकान (Deplorable house) में कमला देवी पत्नी ईश्वर दास अपने बेटे अशोक व बेटी बबली देवी के साथ रह रही है। तीनों की ही मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। स्थाई तौर पर खाने-पीने(Food) का कोई इंतजाम नहीं है। जानवरों (Animal) से भी बदत्तर जीवन जीने को विवश परिवार के तीन सदस्य टुकड़ा-टुकड़ा जिंदगी जी रहे हैं। प्रज्जजवल ने खोजबीन की तो पता चला कि अशोक ने बीएससी की शिक्षा (Education) हासिल की है, लेकिन परिवार की हालत को देखकर खुद भी अपना मानसिक संतुलन खो बैठा। प्रज्जवल का कहना है कि फिलहाल मंडी के उपायुक्त को पत्र लिखकर मानवीय आधार पर तीनों के जीवन( life) को सुधारने का आग्रह किया है। अगर आवश्यकता हुई तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी मिलने में कोई संकोच नहीं करेंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रज्जवल के बड़े भाई प्रफुल्ल शर्मा ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार (National bravery award) हासिल किया था। भाई ने एक स्कूल की बस को ब्रेक लगाकर अपने कई सहपाठियों का जीवन बचा लिया था। पिता नरेश कमल एक शिक्षक हैं। कुल मिलाकर नन्हें समाजसेवी के प्रयास कहां तक सफल होंगे, यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है, लेकिन एक दिखती बात यह है कि उच्चकोटि के संस्कारों से छोटी उम्र में ही बच्चे नारायण सेवा के लिए प्रेरित हो गए हैं।
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