आनी/राकेश शर्मा, 25 अक्तूबर : देवभूमि हिमाचल प्रदेश के छोटी काशी मंडी उपमंडल के करसोग से लगभग 38 किलोमीटर की दूरी पर सतलुज नदी के दाईं ओर च्वासी क्षेत्र के बीचों बीच तेबन गांव बसा है। जहां पर आदि देव भगवान शंकर तेबनी महादेव जी का भव्य मंदिर (Magnificent temple) स्थित है।
मान्यताओं के अनुसार तेबनी महादेव का जन्म सराहन (सुकेत) में हुआ था। ऐसी मान्यता है कि सराहन से चींटियों ने लंबी पंक्ति को माध्यम बनाकर तेबन नामक स्थान तक आकर वृत्ताकार आकृति (Circular shape) दिखाई और फिर वहीं तेबनी महादेव (Tebani Mahadev) जी का भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। मान्यता यह भी है कि सराहन गांव में एक दिन किसान हल चला रहा तो ज़मीन के नीचे से आवाज़ आई कि धीरे धीरे चलाओ दर्द हो रही है। किसान हैरान हुआ और ज़मीन के नीचे देखा तो एक मूर्ति मिली जिसे बाद में तेबन लाया गया। तभी से यहां अचल रूप में प्रतिष्ठित हो गए। यहां श्री तेबनी महादेव जी का एक विशाल भव्य मंदिर है। मन्दिर में एक प्राचीन हल भी विद्यामान है। वर्षों पूर्व मन्दिर में भुंडा उत्सव भी आयोजित होता था, जिसका प्रमाण मन्दिर की दीवारों पर टंगे रस्सों से लगाया जाता है। हालांकि काफ़ी सालों से अब भुंडा उत्सव नहीं मनाया जाता है।
● मन्दिर में उकेरी गई है अनूठी कला :
मन्दिर में वास्तुकला अपने आप में एक बेजोड़ (Matchless) नमूना है। मन्दिर लकड़ी (Wood) व पत्थरों से निर्मित किया गया है। मन्दिर में देवी-देवताओं के चित्रों की सुंदर नक्काशी की गई है, वहीं पत्थरों की एक से बढ़कर एक सुंदर मूर्तियां परिसर में विद्यमान है। जनश्रुतियों के अनुसार तेबनी महादेव जी की स्थापना या जीर्णोद्धार पांडवों के द्वारा हज़ारों वर्षों पूर्व किया गया है। यहां का शिवलिंग अपने आप में एक अनोखा व ऐतिहासिक शिवलिंग है।
● बेखल के कांटे से बना ढोल :
यहां एक विशाल भेखल के कांटे से बना ढोल भी विद्यमान है, जिसकी लम्बाई लगभग 6 फुट के करीब है। ऐसी मान्यता है कि यह ढोल भीम द्वारा बनाया गया है। तेबनी महादेव जी के दर्शन के लिए लोग दूर दूर से मन्नत लेकर आते है। यहां लगभग वर्ष भर श्रद्धालुओं का आगमन लगा रहता है।
● एक ताला जो तीन चाबियों से :
मन्दिर के भंडार कक्ष में एक अति प्राचीन बड़ा ताला (Lock) है जो तीन चाबियों (Keys) से खुलता है और चाबियों का आकार त्रिशूल(Trishul) रूप में है। एक खास बात है कि ये ताला हर कोई नहीं खोल सकता। प्राचीन समय में अपनाई गई यह अद्धभुत तकनीकी (Miraculous technic) आज भी चली आ रही है।
● नंगे पांव श्रदालु निकलते :
तेबनी महादेव जी को आज के इस आधुनिक युग (Modern era) में भी यात्रा के दौरान नंगे पांव से उठाया जाता है और जगह जगह पलकों बिछाए हज़ारों लोग महादेव का स्वागत करते हैं। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर दृश्य देखने योग्य होता है।
● सानिध्य में होते हैं कई उत्सव :
तेबनी महादेव जी के सम्मान में एक दिवसीय शन्चा मेला व अशला का जागरा मेला बङी धूमधाम से मनाया जाता है। तेबनी महादेव जी और नाग धमूनी स्यांज बगङा की कोटलू खड्ड के आर पार एक ऐतिहासिक मिलन साजा आषाढ़ महीने में होता है। इस ऐतिहासिक महामिलन में सैकड़ों लोग इसके साक्षी बनते है। श्रद्धालुगण यहां अपनी गाड़ी व बस के द्वारा आसानी से आ सकते है। लोग दूर दूर से अपनी सुख समृद्धि के लिए तेबनी महादेव जी के दर में आते है।
● भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं महादेव
भक्तों व स्थानीय लोगों का कहना है कि इस देव की बहुत मान्यता है यहां समूचे प्रदेश व अन्य कई जगहों से लोग आते हैं। लोगों का कहना है कि महादेव के दरबार मे सच्ची श्रद्धा से जो भी आता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है । वहीं,महादेव तेबनी बहुत शक्तिशाली व तप से युक्त है जो क्षेत्रवासियों के संकटों का हरण करते हैं । क्षेत्र में सुखा,बाढ़ ,अकाल व महामारी जैसी आपदाओं से बचाने में महादेव की अहम भूमिक रहती है।
● तेबनी महादेव हर संकट में प्रशासन के साथ
तेबनी महादेव व मन्दिर कमेटी समय- समय पर सरकार और प्रशासन के हर संभव सहयोग के लिए भी तत्पर रहते हैं। आज समूचा विश्व कोरोना नामक वैश्विक महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में तेबनी महादेव मंदिर कमेटी ने 20 अप्रैल को मुख्यमंत्री राहत कोष में एक लाख रुपये भी दान किये। इतना ही नहीं,जब भी सरकार व स्थानीय लोगों को महादेव के सहयोग की आवश्यकता होती है तो यहां की मन्दिर कमेटी हमेशा आर्थिक रूप से भी सहयोग करने के लिए तैयार रहती है।