शिमला 31 अगस्त : वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी डाॅक्टर सविता शर्मा (IFS Savita Sharma) को हिमाचल (Himachal) का नया प्रधान मुख्य अरण्यपाल (Principal Chief conservator) बनाया गया है। इस पद पर काबिज होने वाली वह पहली महिला (first Lady) अधिकारी हैं। वह इससे पहले पीसीसीएफ वन्यजीव (wild Life) का पद संभाल रही थीं। हिमाचल कैडर की आईएफएस अधिकारी को देश के इस प्रसिद्ध संस्थान वन अनुसंधान केंद्र (FRI) में भी पहली लेडी निदेशक बनने का गौरव हासिल है।
बता दें कि एफआरआई का 114 साल का शानदार इतिहास है। यहां पहली महिला निदेशक बनकर डॉ. सविता ने संस्थान के इतिहास में नाम दर्ज करवाया है। देश के महिला आयोग में उप सचिव के पद को भी बखूबी संभाल चुकी हैं। 1990 में बतौर डीएफओ कुल्लू में जिम्मेदारी संभाली थी। यहीं से पारी शुरू कर आज वन विभाग के सर्वोच्च पद पर पहुंची हैं। 5 राज्यों में गंगा के तट पर भूमि कटाव ( भूमि कटाव) रोकने के मकसद से पौधरोपण की योजना की भी सूत्रधार रह चुकी हैं। इसके अलावा राष्ट्रमंडल वानिकी सम्मेलन (Commonwealth Forestry Conference) के 50 साल बाद आयोजन में भी अहम भूमिका निभाई थी। इसमें पूरी दुनिया से 700 डेलिगेटस पहुंचे थे। वन्यप्राणी विभाग में पीसीसीएफ के पद पर रहते हुए बंदरों की समस्या के साथ-साथ स्नो लैपर्ड (Snow Leopard) के वास (habitat) को तलाशने में भी जुटी रही।
दीगर है कि उन्हें अक्तूबर 2015 में उपनिदेशक (शिक्षा) के पद पर भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (Indian Council of Forestry Research and Education) में तैनाती मिली थी। यहां से तत्कालीन निदेशक के मूल कैडर में जाने के बाद 3 जून 2015 को एफआरआई के निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार (Addtional charge) दिया गया था। इसके बाद 6 जनवरी 2016 को स्थाई नियुक्ति मिली थी।
खास बात यह है कि 1985 बैच की सविता (IFS Savita) को यह ओहदा अपने पति अजय कुमार के सेवानिवृत होने के बाद मिला है। अजय कुमार आज ही सेवानिवृत हुए। गत 24 अगस्त को नए पीसीसीएफ (PCCF) की नियुक्ति के लिए गठित चयन समिति की बैठक में सविता के नाम पर सहमति बनी थी। मौजूदा आईएफएस (Indian forest Services) अधिकारियों में वह सबसे वरिष्ठ हैं। उसके बाद 1986 बैच की आईएफएस अर्चना शर्मा का नाम आता है। 1987 में पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भी पहली आईएफएस अधिकारी के तौर पर सेवाएं दे चुकी है। 1990 में तत्कालीन वन मंत्री से फिल्ड में पोस्टिंग का आग्रह किया था। अमूमन 80 के दशक में लड़कियों के लिए वन विभाग को चुनना आसान नहीं था