संगड़ाह /प्रकाश शर्मा : एक तरफ कोरोना काल में जहां युवा आत्महत्या जैसे खौफनाक कदम (Creepy step) उठा रहे हैं तो वहीँ कुछ युवा ऐसी भी है जो इस संकट की इस घड़ी में भी अपना संयम न खोकर एक अलग मिसाल (Example) पेश कर रहे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण संगड़ाह उपमंडल के अंतर्गत भलोना गांव के युवकों ने पेश किया है। कोरोना की वजह से देश में स्कूल-कॉलेज बंद हैं। ऐसे में बच्चे घर में ही रह कर ऑनलाइन एजुकेशन (Online Education) ले रहे हैं। लेकिन कुछ गांव-कस्बे ऐसे भी हैं, जहां बच्चे इन सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। इसकी वजह सिग्नल समस्या तो है ही, साथ ही गरीबों के पास स्मार्ट फ़ोन (Smart Phone) की उपलब्धता न होना भी है। मकसद ये भी है कि कोई गरीब अपने बच्चे की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए अपनी गाय न बेचे।
गौरतलब है कि बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए हिमाचल के ही ज्वालामुखी में एक गरीब कुलदीप ने अपनी गाय बेच दी थी, ताकि बच्चों के लिए स्मार्ट फोन खरीद सके ।
नव युवक मंडल भलौना के सदस्यों द्वारा बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) में बिठाकर गांव में ही निशुल्क शिक्षा (Free Education) दी जा रही है। नव युवक मंडल के सदस्य महासू देवता के प्रांगण में गांव के बच्चों को बिठा कर शिक्षा दे रहे हैं। इनमें ज्यादातर छोटी कक्षाओं के विद्यार्थी शामिल है। युवाओं का कहना है कि स्कूल कॉलेज बंद होने के कारण बच्चों की पढ़ाई पर खासा प्रभाव पड़ा है। इसके मद्देनजर वह बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग में बिठा कर यथा उचित शिक्षा दे रहे हैं। उनका कहना है की इससे बच्चों की पढ़ाई निरंतर चलती रहेगी। मंडल के सदस्य दिन में अपना काम करके शाम 5 बजे बच्चों के लिए समय निकालते हैं। इसमें युवक मंडल सदस्य कमल राज शर्मा, रोहित शर्मा, कुलदीप भारद्वाज, कल्पना, बबीता व कृष्णा शामिल हैं।
उनका कहना है कि यहां ज्यादातर बच्चे ऑनलाइन एजुकेशन से वंचित रह जाते हैं, क्योंकि अक्सर नेटवर्क और लाइट की असुविधाएं रहती है। इसलिए उनका प्रयास है कि बच्चे की पढ़ाई पर कोई प्रभाव न पड़े, इसलिए वह ऐसा कर रहे हैं। उधर गांव के मुखिया गोपाल शर्मा ने युवक मंडल के सदस्यों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हमारी लिए यह गर्व की बात है कि गांव की युवा पीढ़ी इस तरह की सोच रखती है। वह हर तरह से उनका साथ देने के लिए तत्पर रहेंगे। उन्होंने बताया कि गांव में शाम को 5:00 बजे के बाद जब बच्चों को पढ़ने बिठाया जाता है तो गांव में ही स्कूल जैसा माहौल बन जाता है।