नाहन: डाॅ. वाईएस परमार मेडिकल काॅलेज की गायनी ओपीडी में मंगलवार को पांचवे दिन भी ताले लटके हुए मिले। इस मामले में एक नया खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक तीन स्त्री रोग विशेषज्ञों के क्वारंटाइन पर जाने के बाद विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पांवटा साहिब में तैनात गायनी विशेषज्ञ के नाहन में डैपुटेशन के आदेश जारी कर दिए थे। लेकिन डाॅक्टर साहब ने खुद को बीमार बताकर छुट्टी ले ली। इसके बाद विभाग ने डाॅक्टर की बीमारी को क्राॅस चेक करने के मकसद से उन्हें मेडिकल बोर्ड के समक्ष हाजिर होने को कहा, लेकिन कमाल देखिए डाॅक्टर साहब ने मेडिकल बोर्ड के सामने खुद को बीमार साबित करने से भी किनारा कर लिया। ऐसे में विभाग लाचार हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक पांवटा में तैनात गायनी विशेषज्ञ के इस रवैये से सचिवालय को भी अवगत करवा दिया गया है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि पूरे देश ने मेडिकल स्टाफ को पलकों पर बिठा रखा है, मगर धरातल पर इस तरह का रवैया भी है। मेडिकल काॅलेज में गायनी ओपीडी में ही गर्भवती महिलाओं की ही सबसे अधिक भीड़ रहती है। दूरदराज के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए मेडिकल काॅलेज ही वरदान हैं। सवाल इस बात पर भी पैदा होता है कि क्या विभाग के आदेशों को सरेआम ठेंगा दिखाने की जुर्रत इसलिए की जा रही है, क्योंकि ऐसे लोगों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
उधर मेडिकल काॅलेज के एमएस डाॅ. अजय शर्मा ने मंगलवार को भी गायनी ओपीडी ठप होने की पुष्टि की। इसी बीच मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. केके पराशर ने कहा कि पांवटा साहिब के गायनोकोलोजिस्ट को डैपुटेशन पर नाहन ज्वाइन करने के आदेश हुए थे। उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्होंने मेडिकल लीव ले ली। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इस बात की भी पुष्टि की कि डैपुटेशन पर बुलाए गए गायनोकोलोजिस्ट ने मेडिकल बोर्ड के समक्ष हाजिर होने से भी इंकार कर दिया था। लिहाजा, इसकी जानकारी शीर्ष अधिकारियों को दे दी गई है।