काँगड़ा : जहाँ चाह वहाँ राह….कुछ इस तरह ही कर दिखाया शाहपुर के दुरगेला के पूर्ण चन्द ने। जिला काँगड़ा के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत गाँव दुरगेला के पूर्ण चंद ने वर्ष 2018 में सेब के 25-30 पौधे बाग़वानी विभाग के मार्गदर्शन में पालमपुर उपमण्डल के गोपालपुर से एक निजी नर्सरी से लेकर शुरुआत की। इससे पहले पूर्ण चंद धान, गेहूं, मक्की इत्यादि की खेती ही करते थे। मन में बागवानी की चाहत थी और उस को पूरा करने के लिए उन्होंने वर्ष 2008 में कृषि विभाग के तत्वाधान में पुणे (महाराष्ट्र) से कुछ प्रशिक्षण भी प्राप्त किया।
इसके अतिरिक्त उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से भी समय-समय पर कृषि से संबंधित अल्पकालीन प्रशिक्षण प्राप्त किए। एक समय तो उन्होंने कीवी लगाने का मन भी बनाया और पहुँच गए विभाग के कार्यालय, लेकिन पूर्ण चंद की किस्मत में शायद कुछ और ही लिखा था। बागवानी अधिकारियों ने उन्हें सेब के पौधे लगाने की सलाह दी, 25-30 पौधे लगाकर उन्होंने शुरुआत तो कर दी लेकिन वह अपने खेतों में रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करना चाहते थे, फिर सोशल मीडिया के माध्यम से पूर्ण चंद नेशनल सेन्टर ऑफ आर्गेनिक फार्मिंग जोकि भारत सरकार का उपक्रम है के निदेशक डॉ. कृष्ण चन्द्र के सम्पर्क में आए और उनके द्वारा बनाए गए विभिन्न वीडियो को इन्होंने देखा और उनका अनुसरण करते हुए जैविक खाद को अपनाया।
पूर्ण चंद के अनुसार जैविक खाद प्रयोग करने से उनके बगीचे में बेहतर क्वालिटी के सेब के फल आये तथा पौधों में बीमारी रासायनिक खादों के उपयोग करने की अपेक्षा कम रहीं। प्रदेश सरकार द्वारा पूर्ण चंद को पौधों में उपदान के अलावा एंटी हेलनेट के लिए भी 80 प्रतिशत उपदान दिया गया है । एंटी हेलनेट लगाने से सेब की फसल पशु-पक्षियों व कीट पतंगों से सुरक्षित रह रही है। इस समय पूर्ण चंद के 3-5 कनाल के बगीचे में लगभग 150 अन्ना व डोरसेट प्रजाति के सेब के पौधे लगे हुए हैं। पूर्ण चंद कहते हैं कि उनके बगीचे में पहले वर्ष कम फल आये जबकि उन्हें उम्मीद है कि इस वर्ष बगीचे से लगभग 100 से 120 पेटी सेब हो जायेगें जिस से उनका कुछ खर्च भी निकल जायेगा।
पूर्ण चंद कहते हैं कि इस वर्ष फलों की आय से पूर्व में किये हुये व्यय का कुछ हिस्सा निकल आने की उम्मीद है। जैविक विधि से तैयार इन फलों के अच्छे दाम भी मिलने की उम्मीद करते हुये पूर्ण चंद का कहना है कि यह फल सेहत की दृष्टि से बहुत ही पौष्टिक है, क्योंकि इनमें किसी भी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं किया गया है। उन्होंने पारंपरिक खेती कर रहे किसान भाइयों विशेष कर युवाओं से बाग़वानी को जैविक विधि से तैयार करने का आहवान किया ताकि उन्हें अपने क्षेत्र में रहकर ही आजीविका प्राप्त हो सके। उन्होंने बताया कि धर्मशाला बाग़वानी विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ डॉ. संजय गुप्ता व बाग़वानी अधिकारी संजीव कटोच इस प्रगतिशील बागवान को समय समय पर आवश्यक जानकारी देते रहते हैं।
डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को बागवानी के लिये प्रेरित करने की योजनाओं के फलस्वरूप विभाग द्वारा इस क्षेत्र के किसान पूर्ण चंद के अलावा क्षेत्र के रजोल, डढम्भ, नागनपट्ट और भनाला के बागवानों ने भी सेब के पौधे लगाये हैं। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में सेब की अच्छी पैदावार को देखते हुये अन्य बागवान भी सेब के पौधे लगाने के लिये सम्पर्क कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अन्ना व डोरसेट (गोल्डन) प्रजाति के सेब के पेड़ों के लिये क्षेत्र का मौसम अनुकूल है।
बागवान पूर्ण चंद का प्रदेश सरकार से निवेदन है कि सरकार प्रदेश में जैविक खेती के बढ़ावे के लिये किसानों को वेस्ट डी-कम्पोजर के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देें ताकि वह इसका अधिक से अधिक लाभ उठा सकते। इसके अतिरिक्त प्रगतिशील बागवान पूर्ण चंद ने सेबों की एक नर्सरी भी तैयार की है और इसमें लगभग 1500 सेब के पौधों की पौध तैयार की है। पूर्ण चंद की धर्मपत्नी मधुबाला भी इस कार्य में उनका पूर्ण सहयोग करती हैं और मिल-जुलकर काम करने का ही नतीजा है कि इस क्षेत्र में उन्होंने सेब का बगीचा तैयार कर दिया है जो क्षेत्र में और लोगों के प्रेरणा स्रोत बनें हैं।