नाहन: क्या इस बात की कल्पना की जा सकती है, मुख्यालय में चार मासूम बच्चे एक ऐसा नरकीय जीवन जी रहे हों, जब मामूली सी बारिश भी जीवन के लिए खतरा बन जाए। बिलकुल ऐसा हो रहा है। वो भी चंबा ग्राउंड से महज चंद मीटर की दूरी पर। बारिश में इस मैदान का पानी सीधे ही बाढ़ के रूप में गरीब परिवार पर आफत बनकर टूट पड़ता है। मंगलवार को भी ऐसा ही हुआ।
आप यह जानकर भी सिहर उठेंगे कि असल गरीबी में यह परिवार आज भी एक ऐसे मकान में जीवन यापन कर रहा है, जिसकी धराशायी होने की आशंका हर वक्त बनी रहती है। जीर्ण-शीर्ण हालत वाले मकान के ठीक पीछे एक आम का दरख्त है, जिसकी जड़ें अब इसका बोझ सहने की स्थिति में नहीं है। अगर पेड़ धराशायी होता है तो लाजमी तौर पर अनहोनी हो सकती है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने परिवार की स्थिति का जायजा लेने के लिए मौके का दौरा किया।
इस दौरान एक बुजुर्ग महिला संजीदा ने खुलासा किया कि चार बेटों का परिवार रह रहा है। दो बेटे गुस्सल की रिवायत को भी पूरा करते हैं। इस रिवायत में सुपुर्द-ए-खाक से पहले शव को नहलाया जाता है, जिसे कब्रिस्तान के समीप ही मुकम्मल किया जाता है। बुजुर्ग महिला का कहना है कि परिवार करीब 50 साल से यहीं रह रहा है। चंबा ग्राउंड की तरफ से पानी की निकासी का सही इंतजाम न होने की वजह से बारिश में हर समय खतरा मंडराता है। घर में इतनी भी जगह नहीं है कि सामान ही घर के अंदर रख लें।
परिवार की बेटी मोमिना का कहना है कि हर साल नाले की मेंटेनेंस कर दी जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं किया गया। आम का पेड़ भी गिरने के कगार पर है। सवाल इस बात पर भी उठता है कि सरकार गरीबों के लिए बेशु मार योजनाएं उपलब्ध करवाने के बड़े-बड़े दावे करती है, मगर बेहद गरीबी से ताल्लुक रखने वाले इस परिवार को महज एक नाले से बचाव की दरकार है। फिलहाल इस मामले में स्पोर्टस महकमे के अलावा नगर परिषद की प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं है। अगर उपलब्ध होती है तो निश्चित तौर पर प्रमुखता से प्रकाशित की जाएगी।