धर्मशाला : कांगड़ा जिला प्रशासन ने इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के लक्षणों वाले व्यक्तियों का सही समय पर पता लगाने वाली अर्ली नोटीफिकेशन एवं डिटेक्शन ऑब कोविड-19 (एंडकोविड) नामक ई-सेवा आरम्भ की है। एंडकोविड पोर्टल को एचटीटीपीएसः //एंडकोविडकांगड़ाडॉटकॉमलिंक पर पोषित (होस्ट) किया गया है। इस सेवा को जिला आपदा प्राधिकरण, कांगड़ा की टीम ने डिजाइन किया है।
उपायुक्त राकेश प्रजापति इस सेवा के बारे में बताते हैं कि जैसा कि सेवा के नाम से ही विदित है कि यह प्रणाली संभावित कोविड-19 के संदिग्धों का शीघ्र पता लगाने में जिला प्रशासन के प्रयासों को सुदृढ़ करेगी। वेबसाईट पर हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध आवेदन-प्रपत्र को मोबाईल पर भी आसानी से भरा जा सकता है। इस सिस्टम पर दी गई सारी जानकारी गुप्त रखी जायेगी।
इन्फ्लुएंजा-जैसी बीमारी (आईएलआई) को कोविड-19 के लक्षणों के प्रथम संकेत के रूप में माना जाता है। अतः कोविड-19 के स्थानीय या सामुदायिक संक्रमण को रोकने के लिए समय रहते ऐसे लक्षणों वाले व्यक्तियों का पता लगाना और उन्हें अलग कर उनका उपचार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
एंडकोविड सेवा सभी नागरिकों को एक विकल्प प्रदान करती है कि यदि उन्हें सर्दी, खांसी, बुखार या सॉंस की तकलीफ महसूस हो रही है, तो वे पोर्टल पर एक साधारण आवेदन के माध्यम से वह जिला प्रशासन को अपने लक्षणों की रिपोर्ट कर सकते हैं। ऐसे लक्षण बहुत हल्के, हल्के, मध्यम से गंभीर हो सकते हैं। आवेदन पत्र में आवेदक को अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर, लक्षण, अन्य स्वास्थ्य समस्याओं सहित अपने यात्रा इतिहास के बारे में बताना होगा। जिला प्रशासन आवेदन प्राप्त होने के बाद यह सूचना तुरंत स्वास्थ्य विभाग के साथ सांझा करेगा।
स्वास्थ्य विभाग की एक टीम आवेदक से संपर्क करेगी और कोविड-19 की संभावना का पता लगाएगी। कोविड-19 के संदेह के मामले में आवेदक का नमूना लेकर परीक्षण किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में, यदि लक्षण बहुत हल्के या हल्के पाए जाते हैं, तो आवेदक को तब तक घर पर ही रहने और घर पर भी परिवार से अलग कमरे में रहने की सलाह दी जाती है या जब तक कि स्वास्थ्य टीम उससे संपर्क न स्थापित कर ले। यदि स्वास्थ्य विभाग की टीम के संपर्क करने से पहले ही आवेदक की स्थिति बिगड़ जाती है, तो आवेदक को स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्थापित निकटतम फ्लू और फीवर क्लिनिक जाने के बारे में जानकारी दी जाती है।
एडीसी राघव शर्मा इस ई-सिस्टम के फायदे गिनाते हुए कहते हैं कि सबसे पहले, सूचना के मूल स्त्रोत यानी मरीज से ही इन्फ्लुएंजा-जैसी बीमारी (आईएलआई) के लक्षणों की समय पर रिपोर्ट मिलेगी, जो कोविड-19 के प्रसार को रोकने में बेहद अहम है। दूसरे, स्वास्थ्य विभाग की टीम तुरंत मरीज से संपर्क करेगी, इससे मरीज घर पर ही रहेगा और किसी भी स्वास्थ्य संस्था का तुरंत दौरा नहीं करेगा। अतः संभावित कोविड-19 मामलों से स्वास्थ्य संस्थाओं को बचाने में मदद मिलेगी और वे अन्य रोगियों का इलाज यथावत जारी रख सकेंगी।
प्रशासन ने पहले ही जिला के कई अस्पतालों में अलग-अलग फ्लू और फीवर क्लीनिक स्थापित किए हैं, जिससे अन्य सामान्य रोगियों को इन्फ्लुएंजा-जैसी बीमारी (आईएलआई) वाले रोगियों को अलग रखा जा सके। तीसरे, रोगी द्वारा बताए गए लक्षणों की प्रकृति और यात्रा इतिहास के आधार पर स्वास्थ्य विभाग की टीमों को संभावित संदिग्धों के सैंपल लेने और परीक्षण को प्राथमिकता देने में मदद मिलेगी। यह प्रणाली जिला प्रशासन द्वारा स्थापित निगरानी तंत्र की पूरक होगीय, जहाँ एक निगरानी अधिकारी होमक्वारंटीन में रह रहे लोगों के घर जाकर लक्षणों के बारे में पूछता है और लक्षण पाए जाने पर उसकी जाँच और परीक्षण के लिए स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट करता है।
आवेदन प्रक्रिया के अंत में पावती पर्ची पर आवेदक को सरकार द्वारा शुरू किए गए ई-संजीवनी ओपीडी पोर्टल के माध्यम से पेशेवर टेली-परामर्श प्राप्त करने के बारे में भी बताया जाता है। जिला में स्थापित फ्लू और फीवर क्लीनिक का विवरण भी आवेदकों की जानकारी के लिए पावती पर्ची में दिया गया है। लॉकडाउन के खुलते ही राज्य से बाहर से आने वाले व्यक्तियों की आमद बढ़ेगी। ऐसे में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि रोगग्रस्त व्यक्तियों को समुदाय से पृथक करके उनकी स्थिति की रिपोर्ट तुरंत स्वास्थ्य विभाग की टीम तक पहुँच सके।