शिमला : राजस्थान के कोटा से हिमाचली छात्रों को घर वापस लाने का फैसला सरकार ने लिया है। बकायदा खर्च को लेकर भी एक बजट निर्धारित किया गया है। इसी बीच चंडीगढ़ में फंसे हिमाचलियों का भी एक आंकड़ा सामने आया है। मोटी जानकारी के मुताबिक यूटी में प्रदेश के 1600 से 2000 लोग घर आना चाहते हैं, लेकिन उन्हें घर लाने को लेकर सरकार कोई फैसला नहीं ले रही। हालांकि कोटा में फंसे हिमाचली छात्रों को वापस लाने के फैसले का स्वागत हो रहा है, लेकिन सवाल इस बात पर भी उठाया जा रहा है कि केवल कोटा के लिए ही क्यों फैसला लिया गया, एक ही फैसले में अन्य स्टेशनों पर फंसे लोगों को लाने पर भी विचार हो सकता था।
शुक्रवार को चंडीगढ़ में फंसे लोगों के पास एक संदेश पहुंचा कि उन्हें घर वापस लाया जा रहा है, लिहाजा वह अपने जिला के उपायुक्त से आवेदन करें। इसके बाद से ही खलबली मची हुई है। मगर शाम तक इस बाबत कोई स्पष्ट निर्देश नहीं थे कि चंडीगढ़ से लोगों को वापस लाया जा रहा है। अहम बात यह भी है कि चंडीगढ़ तक हिमाचल के लोग बच्चों व सदस्यों को घर लाने का इंतजाम खुद भी कर सकते हैं।
उधर बड़ी बात यह भी है कि राज्य के भीतर भी अंतर जिला मूवमेंट न होने की वजह से लोगों को अपने परिवारिक सदस्यों व बच्चों को घर लाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि अधिकारिक तौर पर इस मामले में कोई भी प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं हुई है। मगर इतना तय है कि चंडीगढ़ में फंसे लोग बड़ी संख्या में सरकार को घर वापसी की गुहार लगा रहे हैं। उधर एक अन्य जानकारी के मुताबिक देर दोपहर कोटा से छात्रों को लाने के लिए परवाणू व सोलन से 9 बसों की रवानगी की गई है।