शिमला: देश में कई जगहों से ऐसी खबरें आती रही हैं, जिसमें यह खुलासा किया गया कि रिकवर होने के बावजूद भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो सकता है। ऐसा ही एक मामला बीती रात हिमाचल में भी सामने आया। अब विभाग ने तकनीकी तौर पर इस मामले से जुड़ा ताजा खुलासा किया है। इसके मुताबिक रविवार को दोबारा पॉजिटिव हुए व्यक्ति के खून की जांच की गई।
इसमें IgG व IgM को परखा गया। IgG की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, जबकि IgM की रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई है, जो इस बात को साबित करता है कि व्यक्ति में पहले संक्रमण के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता बन गई थी। लिहाजा, IgM की रिपोर्ट नेगेटिव आने से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उसे अब भी एक्टिव संक्रमण नहीं है और आरटी व पीसीआर की पॉजिटिव रिपोर्ट पुराने वायरस के अवशेष के कारण आ सकती है। ऐसे व्यक्ति, जो संक्रमित पाए गए हों, 14 दिन बाद जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव हो गई हो, उन्हें 14 दिन तक क्वारंटाइन सैंटर में रखा जाएगा। ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हो सके।
स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने कहा कि रोगी को छैब में रखा गया था। देश में कुछ लोगों में संक्रमण के सक्रिय होने की रिपोर्टों को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट के नेगेटिव आने के 14 दिन बाद नमूने लिए जाते हैं। उधर विभाग ने हालांकि शाम 5 बजे के बुलेटिन में राज्य में सक्रिय रोगियों की संख्या 11 ही दर्शाई है, जो पहले 12 थी।
साधारण शब्दों में समझें…
दरअसल, हरेक इंसान के भीतर कुदरत ने रोग प्रतिरोधक क्षमता दी है। इसके कमजोर होने की वजह से संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। IgG व IgM के टैस्ट सीधे ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को जानने के लिए किए जाते हैं। विशेषज्ञों का यह कहना है कि शरीर खुद भी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। ऐसा न होने की सूरत में डायग्नोज चाहिए होता है, जो कोरोना वायरस के लिए फिलहाल उपलब्ध नहीं है। एंटी मलेरिया में इस्तेमाल होने वाली दवा हाईड्रोऑक्सीक्लोरोक्विन को लेकर बेशक ही भारत में एडवाइजरी दी गई है, लेकिन पुख्ता तौर पर हरेक की इस बारे में अलग-अलग की राय आने से कन्फ्यूजन है।