शिलाई: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण और वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए हिमाचल प्रदेश में आगामी आदेशों तक कर्फ्यू लगाया गया है। ऐसे में सिरमौर में रोजाना ऐसे कई मामले सामने आ रहे है, जिसमें सैकड़ों किलोमीटर का पैदल सफर तय कर लोग वापिस अपने घर जाने की कोशिश कर रहे है। आपको बताते चले की सिरमौर के हजारों लोग शिमला और सोलन के अलावा क्षेत्र बद्दी में रहते है। कुछ लोग इन जगहों में दैनिक भोगी है तो कोई मजदुर और विद्यार्थी। कर्फ्यू के चलते इन लोगों के पास आमदनी का कोई साधन उपलब्ध नहीं है जिसके सहारे ये अपना पेट भर सके।
बेबसी की मार से जूझ रहे शिलाई क्षेत्र के तक़रीबन आधा दर्जन लोग रविवार दोपहर बाद रोनहाट पहुँचे। पूछने पर मालूम हुआ की ये लोग प्रदेश की राजधानी शिमला से तीन दिनों में 200 किलोमीटर का पैदल सफर तय करके यहाँ तक पहुंचे है। अभी इन्हें तक़रीबन 70 किलोमीटर का पैदल सफर और सफर तय कर अपने गाँव जाना है।टटियाणा गांव के रहने वाले 45 वर्षीय जिया राम सुपुत्र मदन सिंह और 47 वर्षीय गंगा राम सपुत्र रामानंद ने बताया कि वो शिमला से दूर एक जंगल में दिवार निर्माण के काम में मजदूरी कर रहे थे। वो बिलकुल अनपढ़ है और दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोग है, इसलिए वैश्विक आपदा, कोरोना वायरस, कर्फ्यू और लॉक डाउन के मायने उन्हें पता नहीं है।
25 मार्च को अचानक ठेकेदार ने एक आदमी के पास सन्देश भेजा कि दिवार का काम बंद कर दो और सभी मजदुर अपने घर चले जाओ। दूसरे दिन शिमला पहुंचने पर पता चला की सरकार ने सभी बसें बंद की हुई है और लोगों को घरों से बाहर आने पर पाबंदी लगाई हुई है, क्योंकि एक भयानक बिमारी फैली हुई है। डर में शिमला से भाग कर जंगल में चले गए और बिना कुछ खाये पिए वहीँ पर रात गुजारी। तीसरे दिन आधी रात को पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़े और लगातार 3 दिनों तक दिन-रात सफर करके रोनहाट तक पहुँचे है। अब यहां से हमें तक़रीबन 70 किलोमीटर का और सफर तय करके अपने गाँव टटियाणा जाना है।
वहीँ बाली कोटि पंचायत के रहने वाले निशांत सपुत्र स्वर्ण ठाकुर, दीक्षित सपुत्र कुंदन सिंह, मनोज सपुत्र कुंदन सिंह, कनिष्क सपुत्र वीर सिंह ने बताया कि उन सभी की उम्र 17 वर्ष है तथा वो सोलन के एक स्कूल में 12 कक्षा में पढ़ते है। विद्यार्थियों ने बताया कि सरकार द्वारा जब से स्कूलों में छुट्टी की गई है तभी से बसें और यातायात के अन्य साधनों को बंद किया गया है। वो लोग सोलन में किराए के कमरे में रहते है। कमरे में एलपीजी सिलेंडर और राशन भी ख़त्म हो गया है। उनके पास अपना खर्च चलाने के लिए भी पैसे भी नहीं बचे थे। गांव से परिवार के लोग भी पैसा भेजने में असमर्थ थे। इसलिए उन्होंने पैदल ही सोलन से गांव जाने का फैसला लिया। उन्होंने बताया कि वो लोग 27 मार्च को सुबह सोलन से पैदल चले है और 3 दिनों के बाद रोनहाट पहुंचे है। यहाँ से तक़रीबन 30 किलोमीटर का और सफर तय करके इन्हें इनके गाँव बाली जाना है।
शिलाई के विधायक हर्ष वर्धन चौहान ने भी सिरमौर के लोगों को सुरक्षित उनके घर पहुंचने के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए लिखा है कि सिरमौर ज़िला के अधिकांश लोग सोलन और शिमला ज़िला में मजदूरी का काम करते है और बहुत सारे विद्यार्थी भी इन जिलों के शिक्षण संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे है। कर्फ्यू के चलते ये सभी लोग फंसे हुए है और अधिकांश लोगों के पास रहने और खाने की कमी है।
लिहाजा ये सभी लोग हिमाचल के ही अन्य जिलों में रहते है इसलिए इनको घर पहुँचाने में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा भी नहीं है। हर्ष बर्धन चौहान ने उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड राज्य का हवाला देते हुए बताया कि जब ये पड़ोसी राज्य अन्य राज्यों में फंसे उनके लोगों को उनके घर पहुँचाने का कार्य कर सकते है तो हिमाचल प्रदेश को भी अपने ही राज्य में फंसे लोगों को उनके गाँव तक पहुँचाना चाहिए। क्योंकि सिरमौर ज़िला की सीमाओं पर हजारों महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग रोजाना सैकड़ों किलोमीटर का पैदल सफर तय करके अपने घरों तक पहुँचने का प्रयास कर रहे है। ऐसे में इन लोगों को सुरक्षित इनके घरों तक पहुँचाने के लिए प्रदेश सरकार को जल्द प्रशासन को आदेश जारी करने चाहिए।