नाहन : 7 साल की मासूम बच्ची से गैंगरेप के सनसनीखेज वारदात में पुलिस की आरोपियों के प्रति नरम रुख अपना आ रही है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि आरोपियों को पुलिस रिमांड में लेने के बजाय न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। पुख्ता सूत्रों की मानें तो पुलिस ने ही न्यायालय से आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की। पुलिस रिमांड मिलने की सूरत में ही आरोपियों से यह पूछताछ की जा सकती है कि क्या वह पहले से मासूम बच्ची को प्रताडि़त कर रहे थे या नहीं?
उधर, शहर में इस वारदात के बाद लोगों में गहरा गुस्सा है। यहां तक कि एबीवीपी ने ज्ञापन सौंपकर आरोपियों को दोषी पाए जाने की सूरत में फांसी की सजा की मांग तक कर डाली है। वहीं, आरोपियों की तस्वीरें सोशल मीडिया में भी आ चुकी हैं, फोटोज के साथ लोग आरोपियों पर जमकर गुस्सा उतार रहे हैं।
सवाल इस बात पर उठ रहा है कि पुलिस महकमे के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले को क्यों हल्का लेने में लगे रहे। चंद घंटे पहले ही निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाया गया है। जानकारों का यह भी कहना है कि मामले की गंभीरता की वजह से शीर्ष अधिकारियों के भी जांच अधिकारी को दिशा निर्देश होने चाहिए थे। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पुलिस इस रोंगटे खड़े कर देने वाली वारदात में दोबारा न्यायालय से आरोपियों के पुलिस रिमांड की मांग कर सकती है, लेकिन सवाल इस बात पर उठता है कि प्रारंभिक स्तर पर इतनी जबरदस्त चूक कैसे हुई। आशंका पुलिस पर दबाव की भी जाहिर की जा रही है।
बताया यह भी जा रहा है कि पीडि़ता अनुसूचित जाति से संबंध रखती है लिहाजा सवाल यह भी उठ रहा है कि इस संवेदनशील मामले में एससी एसटी एक्ट के तहत धारा को क्यों नहीं शामिल किया गया। जानकार तो यह भी सवाल उठा रहे हैं कि पुलिस इतनी एडवांस कैसे हो गई है कि महज 1 दिन में बच्ची का मेडिकल करवा लिया गया, साथ ही आरोपियों का भी मेडिकल हो गया। ऐसी परिस्थिति में अगर पुलिस इतनी एडवांस है तो निश्चित तौर पर इस मामले का चालान भी दो-चार दिन में ही दाखिल हो जाना चाहिए।
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अगर गौर किया जाए तो नाबालिग से रेप की स्थिति में भी पुलिस रिमांड की मांग की जाती है, जबकि यह मामला तो महज 7 साल की बच्ची से जुड़ा हुआ है। ऐसे में रिमांड के दौरान न केवल इस बात की जांच हो सकती थी कि कहीं आरोपी पहले से तो पीडि़ता के साथ दुष्कर्म नहीं करते थे और पीडि़ता के अलावा किसी अन्य बच्ची के साथ इस प्रकार की वारदात को आरोपियों द्वारा अंजाम तो नहीं दिया गया था।
उधर संपर्क किए जाने पर एसपी अजय कृष्ण शर्मा ने कहा कि आरोपियों से रिकवरी पूरी हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि ऐसा भी नहीं है कि आरोपियों को रिमांड पर नहीं लिया जा सकता। उन्होंने कहा कि वह इस बात पर कोई टिप्पणी तभी कर सकते हैं, जब पूरा फीडबैक ले लिया जाए।