नाहन : 20 फुट से अधिक बर्फबारी हो चुकी है। पैमाना 25 फुट तक भी पहुंच सकता है। तापमान माईनस 20 डिग्री तक पहुंच जाता है। तेज हवाओं से भी हाड़ कंपकंपा देने वाली ठंड में भी चुनौती बनती है। रहने के लिए आश्रम की छत पर टनों बर्फ जमा हो चुकी है। भीतर चूल्हा जलाने पर ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट आ जाती हो। ऐसे में करीब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर अगर दो प्राणी सुरक्षित हों तो वाकई में सुनकर भी रोंगटे खडे़ हो जाएंगे।
ये तो चूड़धार चोटी पर सन्यासी कमलानंद जी की योग साधना ही है, जो न केवल उन्हें खुद, बल्कि उनके सेवादार काकू को भी ऐसी विकट परिस्थितियों में भी सुरक्षित बचाए हुए है। लिहाजा, आप इस बात को स्वीकार कर सकते हैं कि डिस्कवरी के शो I Shouldn’t be Alive के लिए सन्यासी की ऐसी संघर्षपूर्ण जिंदगी की दास्तां सटीक बैठती है।
हालांकि एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने पहले भी चोटी के एक्सक्लूजिव वीडियो पाठकों के साथ शेयर किए हैं। इसके बाद से ही लगातार पाठक यह सवाल पूछ रहे हैं कि गुरु जी अपने सेवक के साथ सुरक्षित स्थान पर क्यों नहीं चले जाते। इसका सीधा जवाब ब्रह्मचारी कमलानंद जी से फोन पर पूछा गया तो उनका कहना था कि वो प्राचीन शिरगुल मंदिर की नियमित अर्चना को नहीं छोड़ सकते।
https://youtu.be/8_Jk4980OUg
उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले भी ब्रह्मचारी जी की बर्फ पर तप करते हुए तस्वीरें इत्तफाक से सामने आ गई थी। एक अहम बात यह भी है कि ब्रह्मचारी जी को ऐसी विकट परिस्थितियों का सामना करने की विरासत समाधि ले चुके अपने गुरु श्यामानंद जी महाराज से मिली है। उस समय लेशमात्र भी सुविधाएं नहीं हुआ करती थी, जब गुरु श्यामानंद जी 40 फुट तक बर्फ में खुद को सर्द मौसम में सुरक्षित अकेले ही रख लेते थे। इस समय चोटी पर आश्रम में सुविधाएं तो हैं, लेकिन जिस तरीके से आश्रम व मंदिर की छतों पर टनों बर्फ जम चुकी है, वो एक चिंता का कारण भी बन चुका है।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में एक वीडियो सामने आया था, जिसमें ब्रह्मचारी जी खुद बर्फ को हटाते नजर आ रहे थे। कुल मिलाकर चोटी पर ऐसे हालात में अपने प्राणों की रक्षा करना आसान नहीं है। ऐसा अचंभित कार्य केवल ओर केवल योग व साधना के बूते ही किया जा सकता है।