शिमला: क्योंथल रियासत के भ्रमण पर निकले डूमेश्वर देवता गुठान पीरन व ट्रहाई गांव पहुंचे, स्थानीय लोगों द्वारा देवता व इनके साथ आए सभी कारदारों का भव्य स्वागत किया गया। मौके पर देवलुओं द्वारा देवता के रथ के साथ चोल्टू नृत्य, (जातर) किया गया। इससे पहले डोमेश्वर देवता द्वारा रियासत के राजा को महल में जाकर आशिर्वाद दिया गया।
देवता के गुर अमर सिंह ठाकुर और भंडारी सुभाष ने बताया कि कालांतार से डोम देवता गुठान का साम्राज्य 22 रियायतों एवं 18 ठकुराईयों में माना जाता है। डोमेश्वर देवता अपनी प्रजा को आशीर्वाद देने के उद्देश्य से राजा जुन्गा के आदेशानुसार 20 वर्ष उपरांत भ्रमण पर निकलते हैं। उन्होने बताया कि अप्रैल 2019 से रियासत के भ्रमण पर निकले हैं और 22 रियासतों और 18 ठकुराईयों के भ्रमण में करीब तीन वर्ष लग जाएगें। उन्होने जानकारी दी कि डोमेश्वर देवता का इतिहास क्योंथल रियासत के राजा से जुड़ा है। कालांतर में राजा जुन्गा, गुठान के अहिचा ब्राह्मण की हत्या करने पर कुष्ठ हो गया था।
राजा द्वारा कुष्ठ निवारण और वंशावली के लिए काफी जप तप किया गया साथ ही कुल देवता जुन्गा की अराधना की गई परंतु जब कोई राहत नहीं मिली तो राजा जुन्गा द्वारा डोमेश्वर देवता को आमंत्रित किया गया ।ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए डोम देवता ने राजा जुन्गा को कहा कि वह चायल के समीप भलावग में 84 हाथ लंबा तालाब बनाए और उसे अश्विनी खडड से पानी लाकर भरा जाए । इसके अतिरिक्त 84 कन्याओं व 84 ब्राह्मणों को जिमाये और 84 गायो का दान करें तभी वह ब्राह्मण हत्या से मुक्त होगें। राजा द्वारा भलावग नामक स्थान पर 84 हाथ लंबा तालाब तैयार करवाया गया और पूरी प्रजा द्वारा अश्विनी खडड से पानी लाकर भरा गया।
डोमेश्वर देवता की कृपा से राजा जुन्गा हत्या से मुक्त हुए और उनके घर संतान भी हुई । इनका कहना है कि कालांतर में डोमेश्वर देवता क्योंथल रियासत के शासक की राजगददी समारोह तथा संतान होने पर विशेष तौर पर महल में अनिवार्य रूप से आते थे । उन्होने बताया कि राजा जुन्गा द्वारा डोम देवता से आग्रह किया गया कि वह 20 वर्षों के उपंरात 22 रियासत और 18 ठकुराईयों का भ्रमण करके प्रजा को आर्शिवाद दें । उन्होने बताया कि वचनबद्ध डोमेश्वर देवता कालांतर से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं ।