भुंतर : हिमाचल प्रदेश होमगार्ड कल्याण संघ की महासचिव उर्मिला वर्मा का अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला गृहरक्षकों के साथ हो रहे अन्याय के प्रति दर्द छलक पड़ा। महिला दिवस के मौके पर दर्द बयान करते हुए उर्मिला वर्मा ने कहा कि प्रदेश भर में विभिन्न विभागों में कार्यरत महिलाओं को जननी बनने पर 6 माह का मातृत्व अवकाश मिलता है। लेकिन होमगार्ड महिला को मातृत्व अवकाश से वंचित रखा गया है जो बड़े ही दुख की बात है।
होमगार्ड महिला भी एक इंसान है जिसे भी भारतीय नागरिक होने का गर्व महसूस होना चाहिए, लेकिन जननी बनने पर उसे ड्यूटी से ऑफ कर दिया जाता है। उस बीच उसका वेतन काट दिया जाता है, उस स्थिति में एक गर्भवती को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है, जबकि उस बक्त उसे अपनी सेहत के साथ गर्भ में पल रहे शिशु का भी ध्यान रखना पड़ता है। गर्भावस्था में उसे प्रोटीन युक्त आहार की सख्त जरूरत होती है और सरकार उस समय उनकी सैलरी काट देती है। गर्भावस्था में महिला जवान को बहुत ही आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता है जो बड़े ही दुख की बात है, जबकि सरकार महिला उत्थान के लिए बड़ी-बड़ी बातें करती है।
उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से गुहार लगाई है कि होमगार्ड महिलाओं को भी आम सरकारी कर्मचारी की तरह सुविधा मिलनी चाहिए। राज्य होमगार्ड कल्याण संघ की महासचिव ने जय राम सरकार के उस निर्णय पर भी नाराजगी जाहिर की है जो उन्होंने विधानसभा सत्र के दौरान कहा कि होमगार्ड के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई जा सकती। इस बात से समूचे प्रदेश के होमगार्ड जवानों को गहरा आघात लगा है। जबकि होमगार्ड जवान यातायात सेवाएं हो या दमकल विभाग में अपनी सेवाएं हर जगह ईमानदारी से दे रहे हैं। लेकिन सुविधाओं के नाम पर होमगार्डो से हमेशा ही सौतेला व्यवहार होता आया है।
महासचिव ने यह भी कहा कि लंबे समय से होमगार्डों के लिए ठोस नीति बनाने की प्रक्रिया चली आ रही है, लेकिन अभी तक होमगार्ड की मांगों को अनदेखा किया गया। जबकि होमगार्ड पर परिवार की जिम्मेदारी के साथ बच्चों का भविष्य भी उनके ऊपर निर्भर है।