भुंतर : एक तरफ सरकार गरीब व दिव्यांग लोगों के लिए योजनाओं की बात करती है तो वहीं धरातल पर कई ऐसे भी मामले सामने आते हैं जहां सरकार की योजनाओं पर सवाल खड़े होते हैं। ऐसा ही मामला जिला की गाड़ापारली पंचायत में सामने आया है, जहां अति दुर्गम गांव शाक्टी से दिव्यांग लुदर चंद बहुत ही दयनीय स्थिति में अपना जीवन निर्वाह कर रहा है।
लुदर चंद के पिता की मृत्यु के बाद परिवार का मुखिया होने के नाते उनके कंधों पर पुरी जिम्मेदारी पड़ गई। इस समय दिव्यांग गरीबी की हालत में परिवार सहित वशिष्ठ ऋषि के मंदिर में रहकर अपना जीवन गुजर बसर कर रहा है। परिवार के पास रहने को अपना कोई मकान नहीं है। जिसके चलते दिव्यांग अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ गांव के मंदिर में शरण लिए हुए हैं।
दिव्यांग होने के कारण यह कोई काम भी ठीक से नहीं कर पाता। शाक्टी गांव की भौगोलिक परिस्थिति तो सर्वविदित है। इस दुर्गम इलाके की जनता देव परंपरा के अनुसार ही कार्य करता है। धार्मिक मान्यता पूरी सैंज घाटी में है और इलाके के देवता के आदेश के बिना कोई फैसला नहीं लिया जाता। लुदर चंद के पिता की देहावसान के बाद कारदार की जिम्मेदारी लुदर चंद निभा रहे हैं। कारदारी से दो वक्त की रोजीरोटी प्राप्त करना मुश्किल है।
ग्राम पंचायत गाड़ापारली के प्रधान भाग चंद से प्राप्त जानकारी के अनुसार लुदर चंद को गत वर्ष आईआरडीपी में लिया है। उन्होंने बताया कि अपंगता का प्रमाण पत्र भी बनाया लेकिन उसमें परसेंटेज कम होने की वजह से अपंगता पेंशन भी नहीं लग पाई। प्रधान ने यह भी माना है कि लुदर चंद परिवार के साथ बहुत ही गरीबी की हालत में अपना जीवन निर्वाह कर रहा है।
उधर, विधायक बंजार सुरेंद्र शौरी ने बताया कि उनके ध्यान में दिव्यांग लुदर चंद का मामला अभी आया है। सरकार द्वारा चलाई गई जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन्हें जरूर मिलेगा। मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत गरीब को घर बनाने के लिए जल्द धनराशी स्वीकृत की जाएगी।