नाहन : भारत मां की रक्षा करने के लिए ट्रांस गिरी क्षेत्र की शखोली पंचायत का लाल भरत शर्मा घर से निकला था। कमांडो बनकर देश की सेवा का जज्बा पाले हुए था। वह जानता था कि कमांडो बनकर उसे भारत मां की रक्षा के लिए अग्रिम पंक्ति में रहकर सेवा का मौका मिलेगा। माता-पिता के अलावा बहने भरत को दूल्हा बनता देखने के लिए भी बेताब थी। परिवार बेटे की शादी के भी सपने संजोए हुआ था। मगर विडंबना देखिए 23 साल के भरत की पार्थिव देह भी परिवार को नसीब नहीं हुई। शुक्रवार को 21 डोगरा के सिपाही घर आए तो केवल भरत का सामान लेकर।
करीब 6 महीने पहले अरुणाचल प्रदेश में भरत शर्मा एक कमांडो ट्रेनिंग के दौरान नदी में लापता हो गया था। तब से आज तक भरत का कोई सुराग नहीं लग पा रहा था। अब आखिर में तय अवधि पूरी होने के बाद सेना ने 23 साल के लापता भरत शर्मा को मृत घोषित कर शहीद का दर्जा दिया है। 6 महीने से बेटे की कुशलता की उम्मीद में उसके घर लौटने की दुआएं भी मांगी जा रही थी। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने भी भरत के परिवार का गहरा दुख पाठकों के साथ कई मर्तबा सांझा किया था। बेटे के इंतजार में पिता कुंदन सिंह व माता मूर्तो देवी की आंखों के आंसू सूख चुके थे। इस बात की उम्मीद थी कि कभी न कभी करिश्मे से बेटा घर लौट आएगा, लेकिन वह उम्मीद अब टूट गई है।
शहीद भरत के करीबी दोस्त का कहना था कि वह बचपन से ही देशभक्ति का जज्बा अपने कलेजे में समेटे था। हमेशा ही कहता था कि वह कमांडो बनकर दुश्मनों के दांत खट्टे करेगा। उधर एक अन्य जानकारी के मुताबिक घर पहुंचे सेना के प्रतिनिधि अब भरत शर्मा की शहादत को लेकर औपचारिकताएं पूरी करने में लगे हुए हैं। उधर शहीद भरत के छोटे भाई यश शर्मा ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क को बताया कि सेना के प्रतिनिधि घर पहुंचे हैं। उन्होंने भाई के बारे में अवगत करवाया है। साथ ही भाई से जुड़ा हर एक समान परिवार को सौंप दिया गया है। दीगर है कि शहीद भरत के छोटे भाई ने हाल ही में अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की है। तीन बहनों की शादियां हो चुकी हैं।
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अंतिम बार…
बताते हैं कि जब भरत आखिरी बार घर आया था तो छुट्टी से लौटते वक्त उसकी ट्रेन भी मिस हो गई थी। फिर उसे हवाई मार्ग से पहुंचना पड़ा था। आखिरी बार उसने यह भी कहा था कि वह एक कठिन ट्रेनिंग पर जा रहा है। लिहाजा एक महीने तक कोई बात नहीं हो पाएगी।