हमीरपुर : चंद रोज पहले कांगड़ा के एक निजी अस्पताल में कार्यरत नर्स काजल ने एचआरटीसी के चालक की बस में ही जान बचाकर अपने हौंसले व कर्तव्य परायणता का उदाहरण पेश किया था। ठीक उसी तरह अब भट्ठा गांव की रीना के लिए नादौन अस्पताल में कार्यरत डॉ. आशीष मसीहा बनकर आए। करीब मृत हो चुकी महिला को दूसरा जीवन दिया। अब रीना के परिजन डॉ. अशीष का आभार जताते नहीं थक रहे हैं।
30 वर्षीय रीना को अस्पताल परिसर में ही अटैक आ गया और वह अचानक बेसुध हो गई, जिसे कई लोगों ने तो मृत घोषित कर दिया। इतने में अपनी नाइट ड्यूटी ऑफ कर के वहां से निकल रहे डॉ. आशीष की नजर उस पर पड़ी। उन्होंने स्टाफ सहित महिला का उपचार आरंभ कर दिया। इस दौरान रीना की दिल की धड़कन और नब्ज बंद हो चुकी थी, परंतु डॉ आशीष ने हार नहीं मानी, उन्होंने महिला के दिल पर दबाव बनाना आरंभ कर दिया,उसे कृत्रिम सांस दिया गया। इसके बाद उन्होंने महिला की सांस की नली में एक पाइप डाली जो अस्पताल में किसी रोगी को पहली बार डाली गई। इस पाइप द्वारा एक विशेष प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। करीब 15 मिनट बाद रीना की सांसें धीरे-धीरे चलने लगी और दिल की धड़कन भी आरंभ हो गई।
डॉ.आशीष के अथक प्रयास के कारण ही रीना की सांसें लौटी। इस दौरान वहां काफी संख्या में लोग जमा हो गए और हर किसी के लिए यह चमत्कार से कम नहीं था। डॉ. आशीष ने तुरंत रीना को टांडा मेडिकल कॉलेज में आईसीयू के लिए रेफर कर दिया। जहां रीना को आईसीयू से सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया और अब उसकी हालत पहले से काफी बेहतर है। रीना के परिजनों ने डॉ. आशीष का आभार जताया है। गौर हो कि डॉ आशीष ने अभी कुछ दिन पूर्व ही बतौर बाल रोग विशेषज्ञ नादौन अस्पताल में ज्वाइन किया है। इससे पूर्व वह नाहन मेडिकल कॉलेज में तैनात थे। डॉ. अशीष पीजीआई चंडीगढ़ में काफी समय रहे हैं। क्षेत्रवासियों, शहर के वरिष्ठ नागरिकों व रिटायर एंप्लाइज एसोसिएशन ने भी डॉ. आशीष की काफी सराहना की है।
डॉ. आशीष ने बताया कि उन्होंने अपना कर्तव्य निभाया है, उन्होंने अपनी टीम के सदस्यों रोहित मेहरा, अंजना शर्मा,चंदन,अकाश, अमित, शुभम चौधरी, अनुश्रुति व तनुज बाला सहित अन्य सदस्यों का आभार जताया है।
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