नाहन : विकास खंड की मातर पंचायत में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर जनवरी माह में जांच रिपोर्ट में तस्दीक हो गई थी। इस बाबत जिलाधीश कार्यालय ने पंचायत प्रधान व सचिव को 16 जनवरी को कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद 15 दिन में जवाब देने को कहा था। यह मियाद भी 6 जनवरी को पूरी हो चुकी है, मगर हैरान कर देने वाली बात यह है कि पंचायत की विकास कार्यों में अनियमितता बरतने वालों पर कार्य में ढिलाई बरती जा रही है।
जांच में कुओं की मरम्मत की राशि में अनियमितता साबित हुई थी। इसमें प्रधान मनीषा शर्मा व सचिव मानो देवी को दोषी पाया गया। सरकार गरीबों के लिए आवास योजना चलाती है, लेकिन यहां तो एक ही परिवार को दोहरा फायदा दे दिया गया था। अगडीवाला के राम किशन को 2007-08 में इन्दिरा आवास योजना के तहत 27,500 रुपए की राशि प्रदान की गई। 10 साल बाद दोबारा 1 लाख 30 हजार रुपए जारी कर दिए गए। यही वजह होती है कि पात्र गरीबों तक सरकार की योजनाएं नहीं पहुंचती। इस मामले में पंचायत प्रधान व सचिव के अलावा लाभार्थी राम किशन को भी दोषी पाया गया था। इसके अलावा मनरेगा के कार्यों में 2 लाख 37 हजार रु रुपयों के कार्यों में भी अनियमितता की पुष्टि हुई थी। इसमें पंचायत प्रधान, सचिव के अलावा कर्मचंद को दोषी पाया गया।
सवाल इस बात पर उठता है कि जब पूरी जांच रिपोर्ट शीशे की तरह साफ है तो दोषियों के खिलाफ क्यों निलंबन की कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रही। आशंका जाहिर की जा रही है कि राजनीतिक दखलअंदाजी की वजह से कार्रवाई से परहेज किया जा रहा है। जिलाधीश डॉ. आरके परुथी का कहना है कि फाइल को पुट करने के लिए कहा गया है, वहीं जिला ऑडिट अधिकारी दयाराम ठाकुर ने कहा कि कार्रवाई की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को भी ग्रामीणों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधीश से मुलाकात कर कार्रवाई की मांग की थी। सनद रहे कि मुख्यमंत्री सेवा संकल्प के तहत राम निवास ने अनियमितताओं को लेकर शिकायत की थी।
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