सोलन: डॉ. वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (पीएचईटी) केंद्र को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वर्ष 2019-20के लिए पीएचईटी केन्द्रों में दूसरे स्थान के पुरस्कार से नवाजा गया है। इस पुरस्कार को हासिल कर इस केंद्र ने विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है। विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत पीएचईटी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपी) का सोलन केंद्र आता है। इस केंद्र को भारत के 31 एआईसीआरपी केंद्रों में दूसरे स्थान पर आंका गया है।
यह पुरस्कार हाल ही में जेएनकेवीवी जबलपुर में आयोजित पीएचईटी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाकी 35वीं वार्षिक कार्यशाला के दौरान प्रदान किया गया। देश के पीएचईटी के 31केंद्रों के अनुसंधान इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने कार्यशाला में भाग लिया और अपनी प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। सोलन केंद्र के तीन वैज्ञानिक, डॉ देविना वैद्य, डॉ मनीषा कौशल और डॉ अनिल गुप्ता ने कार्यशाला के दौरान प्रगति रिपोर्ट, नए प्रोजेक्ट प्रस्ताव और मशीनरी/प्रक्रिया प्रोटोकॉल प्रस्तुत किए।कार्य का मूल्यांकन डॉ एसएन झा, आईसीएआर के सहायक महानिदेशक (एग्रिकल्चर इंजीन्यरिंग), डॉ एसके त्यागी, पीएचईटी के परियोजना समन्वयक, डॉ एसएम इलियास, पूर्व निदेशक एनएएआरएम,डॉ बीएस बिष्ट, पूर्व निदेशक, सीआईपीएचईटी लुधियाना और डॉ अनवर आलम, पूर्व कुलपति, शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालयद्वारा किया गया। यह पुरस्कार प्रौद्योगिकियों के विकास में उत्कृष्ट योगदान, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशनों के आधार पर दिया गया है। पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी का केंद्र वर्ष 2004 से कार्य कर रहा है। यह केंद्र विशेष रूप से सेब, नाशपती, कीवी, मशरूम, अदरक, एलोवेरा और राज्य के कुछ कम उपयोग में लाए जाने वाले अनाज पर काम कर रहा है।
पिछले साल भी इस केंद्र ने ‘सर्वश्रेष्ठ केंद्र पुरस्कार’जीता था। इस केंद्र की प्रधान अन्वेषक डॉ देविना वैद्य ने बताया कि इस पुरस्कार के लिए मूल्यांकन विभिन्न केंद्रों द्वारा पीएचईटी पर किए गए कार्यों के आधार पर किया गया। जैसे की प्रक्रिया प्रोटोकॉल का विकास, मशीनरी, विकसित प्रौद्योगिकी के पायलट परीक्षण, उद्यमिता विकास और किसानों और वैज्ञानिक समुदाय के बीच विकसित प्रौद्योगिकियों का प्रसार। एलोवेरा आधारित उत्पादों, मशरूम फोर्टीफाइड उत्पादों, सेब के लिए संपूर्ण मूल्य श्रृंखला, ग्लूटेन-मुक्त प्रोटीन समृद्ध पास्ता, बेकरी के उपयोग के लिए कई प्रक्रिया प्रोटोकॉल केंद्र द्वारा विकसित की गई है।
विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ॰ अंजू धीमान ने बताया कि पीएचईटी केंद्र ने राज्य के तीन उद्यमियों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं और विकसित पूर्ण प्रोटोकॉल उनके उद्योगों को स्थापित करने के लिए स्थानांतरित की गई है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने इस उपलब्धि पर वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस केंद्र ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है और आईसीएआर द्वारा भी पुरस्कार हासिल किए हैं। डॉ कौशल ने कहा कि विभाग नई तकनीकों को विकसित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है और राज्य के किसानों और उद्यमियों के लिए समय-समय पर इन तकनीकों को हस्तांतरित किया जा रहा है। निदेशक अनुसंधान डॉ जेएन शर्मा, डीन हॉर्टिकल्चर, डॉ एमएल भारद्वाज, संकाय और कर्मचारियों ने भी वैज्ञानिकों को इस अवसर पर बधाई दी।
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