कुल्लू: वाह रे वाह! स्वच्छ शहर, सुंदर शहर, ग्रीन सिटी क्लीन सिटी के रखवालों की क्या सोच है और क्या सपना है। इसका जीता जागता उदारहण ढालपुर मैदान में देखने को मिल रहा है। यहां पहले होर्डिंग स्टैंड को स्थापित करने के लिए पीपल का पेड़ काटा गया और अब उसी होर्डिंग पर ग्रीन सिटी क्लीन सिटी व माई ड्रीम सिटी का संदेश चस्पा दिया। इस रास्ते से जितने भी बुद्धिजीवी गुजर रहे है उन्हें यह होर्डिंग चिढ़ा रही है। होर्डिंग के नीचे पीपल का पेड़ व ठूंठ नजर आ रहा है।
यह सब वन मंत्री के गृह जिला मुख्यालय में ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में देखने को मिल रहा है, जहां पीपल के छोटे पेड़ पर ही कुल्हाड़ी चलाई गई है। हैरानी इस बात की है कि सरकार की मशहूरी व नगर परिषद की कमाई के लिए लग रहे होर्डिंग स्टैंड को स्थापित करने के लिए पीपल के पेड़ की बलि चढ़ाई गई है और अब हरे भरे शहर का संदेश दिया जा रहा है। पहले पीपल का पेड़ काटा गया और उसके स्थान पर उसके बाद यहां बड़ा होर्डिंग स्थापित किया गया। लिहाजा सिर्फ पीपल को ही बलि नहीं चढ़ाया गया बल्कि लोगों की आस्था पर भी कुल्हाड़ी चलाई गई है। आस्थावान लोगों ने बाकायदा इस पेड़ की पूजा की थी और डोरी व लाल कपड़ा भी पेड़ में लगाया था। हैरानी इस बात की भी है कि प्रशासन के कार्यालयों से मात्र 100 मीटर की दूरी पर ही लालचंद प्रार्थी कलाकेंद्र के सामने इस पेड़ को धाराशाई किया गया है।
गौर रहे कि हमारे शास्त्रों और धार्मिक मान्यताओं में पीपल के पेड़ को भी काफी महत्वपूर्ण दर्शाया गया है। इसे एक देव वृक्ष का स्थान दिया गया है। पीपल के वृक्ष के भीतर देवताओं का वास होता है। गीता में तो भगवान कृष्ण ने पीपल को स्वयं अपना ही स्वरूप बताया है। स्कन्दपुराण में पीपल की विशेषता और उसके धार्मिक महत्व का उल्लेख करते हुए यह कहा गया है कि पीपल के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में हरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत देव निवास करते हैं। इस पेड़ को श्रद्धा से प्रणाम करने से सभी देवता प्रसन्न होते हैं।
पीपल के वृक्ष को अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है जिसके पत्ते कभी समाप्त नहीं होते। पीपल के पत्ते इंसानी जीवन की तरह है, पतझड़ आता है वह झड़ने लगते हैं, लेकिन कभी एक साथ नहीं झड़ते और फिर पेड़ पर नए पत्ते आकर पेड़ को हरा-भरा बना देते हैं। पीपल की यह खूबी जन्म-मरण के चक्र को भी दर्शाती है। पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर तप करने से महात्मा बुद्ध को इस सच्चाई का बोध हुआ था। बहरहाल ढालपुर मैदान में इन सभी मान्यताओं को धता बताते हुए पेड़ काट दिया और पेड़ काट कर हरे भरे व स्वच्छ शहर की दुहाई दी जा रही है।
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