सोलन : हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, हिप्पा तथा जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकारण के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय आईआरएस पर आधारित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न हो गई है। निश्चित तौर पर इस तरह की कार्यशाला आपदा के समय अधिकारियों को तालमेल बैठाने मे मील का पत्थर साबित हो सकती है। मगर अधिकारियों की व्यस्तता के चलते कुछ अधिकारी इस बैठक में सिर्फ हाजरी लगाते नज़र आए। जिससे कहीं न कहीं यह साफ़ देखने को मिलता है की आपदा प्रशिक्षण को सोलन के उच्च अधिकारी कितनी गंभीरता से ले रहे है।
हालांकि उच्च अधिकारियों के नाम की पट्टिका उनकी कुर्सियों के सामने देखी जा सकती थी, लेकिन उच्च अधिकारी बैठक मे देखने को नहीं मिले। जो कि कार्यशाला की उपयोगिता पर प्रश्न चिन्ह लगाती है। कार्यशाला मे जिला के विभिन्न अधिकारियों को आपदा से निपटने के बारे में तालमेल बनाने सहित विभिन्न बारीकियों की जानकारी दी। लेकिन संवदेनशील सरकार में जिला सोलन के वरिष्ठ अधिकारी बैठक मे आते-जाते नजर आए।गौरतलब है कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य आपदा के समय विभिन्न विभागों के अधिकारियों को किस तरह से अपना तालमेल स्थापित करना है। मगर जो अधिकारी आपदा कार्य से जुडे हैं, उन्होंने किस तरह जल्द से जल्द राहत व बचाव कार्य शुरू करना है।
जिला के विभिन्न अधिकारियों ने भाग लेकर आपदा के समय त्वरित कार्रवाई व तालमेल स्थापित करने सहित अनेक बारीक बिंदुओ को इस कार्यशाला में सीखा। कार्यशाला में प्रशिक्षण दे रहे कर्नल पीके पाठक ने बताया कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य अधिकारियों को आपदा के समय तालमेल बिठाने सहित त्वरित कार्रवाई किस तरह से करनी है। इस तरह का प्रशिक्षण इस कार्यशाला के माध्यम से दिया गया।
उधर अतिरिक्त उपायुक्त विवेक चंदेल ने कहा कि इस कार्यशाला में उपायुक्त व एडीसी प्रतिभागी नहीं थे। केवल उदघाटन व समापन के लिए ही आमंत्रित थे। शायद कार्यशाला में नाम पट्टिका की वजह से यह गलतफहमी हो गई कि उपायुक्त व एडीएम को लगातार तीन दिन तक इस बैठक में मौजूद रहना था। उन्होंने बताया कि तीन दिवसीय प्रशिक्षण कोर्स के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं को प्रभावी ढंग से निपटने को लेकर विचार हुआ। उन्होंने बताया कि कार्यशाला का आयोजन राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, हिप्पा व जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था।