हमीरपुर : उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ दियोटसिद्ध स्थित बाबा बालकनाथ मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं की आस्था है। यहां श्रद्धालु मनोकामना पूर्ण होने पर जीवित बकरों को मंदिर में छोड़ जाते हैं। बाद में मंदिर ट्रस्ट इन बकरों की नीलामी करता है। 2019 में ट्रस्ट ने 6,371 बकरों की नीलामी की। इससे दियोटसिद्ध मंदिर ट्रस्ट की आय में एक करोड़ 32 लाख 15 हजार चार सौ रुपये का इजाफा हुआ है। बकरों की नीलामी से हर वर्ष ट्रस्ट की आय में बढ़ोतरी हो रही है। मंदिर ट्रस्ट चढ़ावे की आय से श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाता है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में मौजूद सिद्धपीठ श्री बाबा बालक नाथ मंदिर में विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं। 2019 में हुई बकरों की नीलामी 2018 के मुकाबले में करीब 13 लाख रुपये अधिक है। मंदिर ट्रस्ट हर सप्ताह सोमवार व शुक्रवार को बकरों की नीलामी करता है। जबकि चैत्र मास मेलों में सप्ताह में तीन दिन नीलामी होती है। मंदिर ट्रस्ट ने वर्ष 2018 में 5,825 बकरों की नीलामी की, जिससे मंदिर ट्रस्ट को एक करोड़ 19 लाख 52 हजार सात सौ रुपये की आय अर्जित हुई थी।
मंदिर के महंत राजेंद्र गिरी महाराज की मानें तो पौराणिक कथाओं के अनुसार बाबा बालकनाथ जी जब शाहतलाई से दियोटसिद्ध पहुंचे तो उन्होंने एक गुफा में आश्रय लिया। इस गुफा में पहले से ही एक नरसिंह नामक राक्षस निवास करता था। बाबा जी ने राक्षस से अपना स्थान छोड़ने के लिए कहा, इस पर राक्षस ने कहा कि मुझे अपना स्थान छोड़ने से क्या लाभ होगा। लेकिन बाबा बालकनाथ जी के समझाने पर राक्षस मान गया।
बाबा जी ने राक्षस से कहा कि कलयुग में श्रद्धालु आपको जिंदा बकरे चढ़ाए जाएंगे, जिनकी सुगंध मात्र से ही आपकी भूख मिट जाएगी। मान्यता है कि तभी से मंदिर में बकरे चढ़ाने की प्रथा शुरू हुई। इसी परंपरा को आगे निभाते हुए लोग आज भी मनोकामना पूर्ण होने पर मंदिर में जीवित बकरों को छोड़ते हैं।
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