मंडी (एमबीएम न्यूज़) : हमारे देश के राष्ट्रपति वीरभद्र सिंह हैं और हिमाचल प्रदेश में 29 जिले हैं। सुनकर शायद आप भी चकरा गये होंगे कि हम आज क्या कह रहे हैं। लेकिन चक्कर आपको तब आने लगेंगे जब आप सरकारी स्कूलों के बच्चों के जबाव सुनेंगे। राज्य सरकार के गुणात्मक शिक्षा के दावों की पोल खोलने वाली इस खबर को देखिये आप सब समझ जायेंगे।
यूं तो देश वासियों की नजरों में प्रणव मुखर्जी देश के मौजूदा राष्ट्रपति हैं लेकिन मंडी जिला मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित सीनियर सकैंडरी स्कूल तल्याहड़ के बच्चों की नजरों में राष्ट्रपति कोई और ही है। बच्चों का मानना है कि देश के राष्ट्रपति वीरभद्र सिंह हैं। यही नहीं बच्चों का यह भी मानना है कि प्रदेश में 12 नहीं 29 जिले हैं। ऐसे जबाव सुनकर उच्च शिक्षा विभाग के उपनिदेशक महोदय भी थोड़ी देर के लिये स्तब्ध रह गये।
शुक्रवार को मंडी जिला के उच्च शिक्षा उपनिदेशक सुशील पुंडीर ने अपनी टीम के साथ तल्याहड़ स्कूल का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने सभी कक्षाओं में जाकर बच्चों की पढाई के बारे में पूरी जानकारी ली और बच्चों के सामान्य ज्ञान को भी जांचने की कोशिश की। लेकिन सामान्य ज्ञान जांचते समय जो जबाव मिले उन्हें सुनकर ही इस बात का पता चल गया कि गुणात्मक शिक्षा के दावे कितने सही हैं और कितने गलत। उपनिदेशक के अनुसार तल्याहड स्कूल में छठी, आठवीं और नौंवी कक्षा के बच्चे अधिकतर विषयों में कमजोर पाये गये हैं।
अब आपको एक और हकीकत से भी रूबरू करवाते हैं। इन दिनों प्रदेश भर में मतदाता सूचियों को बनाने का कार्य चला हुआ है और यह सारा कार्य शिक्षकों के सिर पर डाला गया है। शिक्षक मतदाता सूचियां बनाने में व्यस्त हैं और बच्चे वीरभद्र सिंह को राष्ट्रपति बताने में मस्त यह कोई एक स्कूल की हकीकत नहीं। प्रदेश भर में ऐसे हजारों स्कूल हैं जहां पर बच्चों की शिक्षा राम भरोसे ही चली हुई है। स्कूलों में अध्यापकों के पद खाली हैं और जहां पर अध्यापक हैं भी उन्हें बाकी कार्यों में व्यस्त कर दिया गया है। तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि राज्य सरकार किस आधार पर गुणात्मक शिक्षा के दावे ठोकती है।