शिमला : प्रदेश के सभी जिलों में वृद्धाश्रम खोलने को लेकर उठाए गए कदमों को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए तीन माह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवल दुआ की खंडपीठ ने प्रदेश में वृद्व आश्रमों की कमी को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि हिमाचल सरकार पिछले 19 सालों वृद्ध आश्रमों को खोलने में नाकाम रही है। वृद्धों के रखरखाव के लिए पूर्ण ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
खंडपीठ के समक्ष पेश हुए प्रधान सचिव (सामाजिक न्याय और अधिकारिता) ने विभाग का पक्ष रखते हुए कहा कि प्रदेश के 5 जिलों में 7 वृद्वाश्रम हैं। इनमें रहने वाले वृद्वों की तादाद 163 है। जबकि इनकी क्षमता 200 है। प्रधान सचिव ने कहा कि राज्य ने बजटीय आवंटन के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव दिया है। लेकिन यह अभी भी पाइपलाइन में है और राज्य ने 2007 के केंद्रीय अधिनियम को नहीं अपनाया है। क्योंकि उक्त अधिनियम की धारा 13 के संदर्भ में कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है।
कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताया कि राज्य सरकार सरकार पिछले 19 सालों में सभी जिलों में वृद्धाश्रम खोलने में विफल रही है। 2007 के केंद्रीय अधिनियम तथा 2001 के राज्य अधिनियम का अनुपालन भी राज्य की सरकार ने नहीं किया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य में वृद्ध व्यक्तियों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कोई तंत्र नहीं है। जब तक कि केंद्र नहीं खोले जाते और बड़े लोगों के साथ विश्वास कायम नहीं किया जाता, तब तक वृद्व वृद्धाश्रम में नहीं आएंगे।
कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि जहां तक दुर्गम जिलों का सवाल है। ऐसे क्षेत्रों में आस-पास केंद्र खोल सकता है। ताकि उक्त क्षेत्रों में वृद्ध व्यक्ति सुविधाओं का लाभ उठा सकें। मामले की अगली सुनवाई मार्च 2020 के पहले सप्ताह में होगी।