शिमला : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विकलांग विद्यार्थियों की ओर से डिसेबल्ड स्टूडेंट्स एंड यूथ एसोसिएशन (डीएसवाईए) ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर शिकायत की है कि रजिस्ट्रार उन्हें पढ़ाई के कानूनी अधिकार से वंचित रख रहे हैं। यहां तक वे हाईकोर्ट और कुलपति के आदेशों की भी सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। डीएसवाईए के संयोजक मुकेश कुमार और सह संयोजक सवीना ने राज्यपाल को भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि रजिस्ट्रार घनश्याम चंद ने विकलांग विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय में 5% आरक्षण देने के हाईकोर्ट के फैसले को लागू कराने में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है।
अदालत ने 5 नवंबर 2018 को दृष्टिबाधित छात्रा इंदु कुमारी की जनहित याचिका में फैसला देते हुए कहा था कि विकलांग विद्यार्थियों को हर वर्ष प्रत्येक कक्षा में 5% आरक्षण दिया जाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने दाखिलों में पुरानी ‘रनिंग रोस्टर’ व्यवस्था बंद करने के आदेश दिए थे। मगर हैरानी की बात तो यह है कि एक वर्ष से ज्यादा समय बीत जाने पर भी यह फैसला लागू नहीं किया गया। हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए 2019-20 के सत्र में विश्वविद्यालय ने एमफिल और पीएचडी में दाखिले कर दिए। यह खुलेआम अदालत की अवमानना का मामला है।
मुकेश कुमार और सवीना ने कहा कि दृष्टिबाधित एवं अन्य विकलांग विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने 22 जुलाई को एक सुगम्य लाइब्रेरी का उद्घाटन किया था लेकिन इसकी हालत बदतर है। इसमें लगाए गए 17 कंप्यूटरों में से सिर्फ चार में टॉकिंग सॉफ्टवेयर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि नए टॉकिंग सॉफ्टवेयर खरीदने के लिए मंजूर हुए पांच लाख रुपए ठंडे बस्ते में पड़े हैं। विद्यार्थियों के बैठने के लिए पर्याप्त मात्रा में कुर्सी-मेज़ और ठंड से बचने के लिए अच्छा हीटर तक नहीं है। टॉकिंग सॉफ्टवेयर वाले कम्प्यूटरों से सुसज्जित लाइब्रेरी खोलने के आदेश हाईकोर्ट ने एक दृष्टिबाधित छात्रा बनिता राणा की जनहित याचिका पर दिए थे।
सुगम्य पुस्तकालय की यह हालत हाईकोर्ट की भी अवमानना है। उन्होंने आरोप लगाया कि 24 सितंबर को सुगम्य में लाइब्रेरी में तैनात जूनियर ऑफ़िस असिस्टेंट का तबादला कर दिया गया था। इसके बाद कुलपति ने वहां दृष्टिबाधित विद्यार्थियों की सहायता के लिए दूसरा कर्मचारी तैनात करने के आदेश दिए। बावजूद इसके आज तक वहां किसी कर्मचारी की तैनाती नहीं की गई। मुकेश कुमार और सवीना जहां ने कहा कि कुलपति के आदेशों के बावजूद विकलांग विद्यार्थियों के लिए शौचालय तक का प्रबंध नहीं किया गया है। इससे सबसे ज्यादा परेशानी दृष्टिबाधित छात्राओं को उठानी पड़ रही है।
पत्र में कहा गया है की कुलपति प्रोफेसर सिकंदर कुमार विकलांग विद्यार्थियों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। लेकिन रजिस्ट्रार घनश्याम चंद का रवैया विकलांग विद्यार्थियों के प्रति असंवेदनशील है। इससे विद्यार्थियों के अधिकारों का खुला उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने इस मामले में राज्यपाल से न्याय की गुहार लगाई।