शिमला : तहसील ठियोग के गुठाण गांव के प्रसिद्ध लोकदेवता डोमेश्वर अपने क्षेत्रों की पारंपरिक जातरा (यात्रा) पर निकले हैं। इस जातरा के दो दौर ऊपरी शिमला के विभिन्न क्षेत्रों में पूरे करने के बाद अब
तीसरे दौर में पुराने लोअर महासू में शिमला तथा सोलन के विभिन्न क्षेत्रों की जातरा पर निकला है।
शिमला के भट्ठाकुफर में सैशन जज राम कृष्ण शर्मा ने व्यक्तिगत तौर पर जातर का आयोजन किया था, जिसमें हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। भट्ठाकुफर से वीरवार दोपहर में देवयात्रा शिमला शहर होते हुए गीरव (ढेंढा) के लिए रवाना हुई। देवता समिति प्रमुख मदन लाल वर्मा ने कहा कि इसके बाद कल से जबलोग, कंडा, चरुड़, गलोट, मेर, जावग, फागला, भवाणा, धेच, जमलोग, बस्ती-बुनाणा, शरैर, पुआबो, कोट तथा मझोला में कार (रिवाज) की जातरा इसी साल के अंत तक पूरी होगी।
इन आयोजनों में क्षेत्रीय श्रद्धालु भाग लेंगे और भोजनादि की व्यवस्था करेंगे। देव यात्रा के दल में लगभग सौ लोग चलते हैं जिनमें देव रथ वाहक, पारंपरिक देव नर्तक, देवधुन वादक और देव व्यवस्था के लोग शामिल रहते हैं। ये लोग देवता के साथ तंबुओं में रात्रिवास करते हैं और लंबी पदयात्रा करके दूसरे स्थान तक पहुंचते हैं। जातर का प्रमुख आकर्षण चोला-पगड़ी पहनकर नर्तकों द्वारा देवरथ सहित पारंपरिक देव धुन पर नृत्य होता है। इसी से उत्सव रूप लेता है।
श्रद्धालु घर-गांव में मेहमान आए देवता से अपना दुख-सुख सांझा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। यह देव जातरा महासू क्षेत्र के लगभग पंद्रह रियासती क्षेत्रों के सांस्कृतिक जीवन में विशेष महत्व है। पुरानी क्योंठल रियासत की ठकुराइयों में इस देवता की विशेष मान्यता है और अनेक गांवों में इसके शाखा मंदिर भी हैं।