घुमारवीं : हिमाचल प्रदेश में अब दुधारु पशुओं को हैल्थ कार्ड जारी किया जा रहा है। यह काम अब पशु विभाग कर रहा है। पहले इस बारे में कोई योजना नहीं थी। हिमाचल प्रदेश में इस योजना को कारगर साबित करने का श्रेय जाता है हिमाचल काडर के आईएएस अधिकारी तरूण श्रीधर को। तरुण श्रीधर 1984 के बैच के हिमाचल प्रदेश काडर के अधिकारी रहे हैं। वे बिलासपुर, मंडी व अन्य कई जिलों के उपायुक्त के पद पर रहे हैं।
तरूण श्रीधर हिमाचल प्रदेश सरकार में पर्यटन विकास निगम हिमाचल पथ परिवहन निगम के प्रबंधक रहे। जहां भी गए वहां उस विभाग के उत्थान का काम किया। मंडी में उनके कार्यकाल में आई आपदा के दौरान उन्होंने एक आम नागरिक की तरह लोगों की सहायता की और खुद लोगों के साथ घटना के स्थान पर लकडियां उठाने को कंधा दे दिया था। यही कारण है कि हाल ही में सेवानिवृत हुए तरूण श्रीधर को हिमाचल प्रदेश के मंडी में सम्मानित किया गया था। तरूण श्रीधर जब हिमाचल प्रदेश से दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर गए तो कृषि मंत्रालय में सचिव पद पर कार्यरत थे।
इस दौरान उन्होने देश के किसान वर्ग की परेशानी को देखते हुए किसानों के लिए कई योजनाएं बनाई। जैसे मछली पालन, भेड़, बकरी पालन इन सबमें एक योजना बनाई गई। दुधारु पशुओं का हैल्थ कार्ड जिससे यह डाटा इकठ्ठा करने में आसानी रहती है कि कितने पशु दुधारु हैं। इसमें बकायदा पशु पालक को एक कार्ड दिया जाता है, जिसमें पशु की नस्ल, उम्र, गर्भ धारण की तिथि नंबर, पशु पालक का पता, सब लिखा जाता है।
इतना ही नहीं पशुओं के कान पर एक टैग लगाया जाता है, जिसमें आधार कार्ड जैसे अंक होते हैं जो दुधारु पशुओं की विशेष पहचान होती है। तरूण श्रीधर की यह योजना हिमाचल प्रदेश में भी पूर्व रूप से लागू होने वाली हैं, जिसका लाभ किसानों व पशु पालने वालों को मिलने वाला है। तरूण श्रीधर 35 साल तक अपनी सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत हुए हैं। इसमें उनका अत्यधिक कार्यकाल हिमाचल प्रदेश में लोगों की सेवा में ही व्यतीत हुआ है।