नाहन: स्कूल की पढ़ाई के दौरान विनीत कुमार ने भारतीय सेना का अधिकारी बनने का सपना संजोया था। 6 मर्तबा सीडीएस की लिखित परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी। अंतिम मर्तबा उसे इस कारण रिजेक्ट कर दिया गया, क्योंकि मेडिकल फिटनेस आडे़ आ गई।
पच्छाद विकास खंड की डिंगर-किन्नर में प्रदेश के निर्माता डॉ. वाईएस परमार की जन्मस्थली चनालग से महज दो किलोमीटर दूर दिवंगत रमेश कुमार व मीमा देवी के घर जन्में विनीत कुमार को राजगढ़ के समीप 26 अप्रैल 2016 को एक भयंकर सड़क हादसे से गुजरना पड़ा। इसमें तीन साथियों की घटनास्थल पर मौत हो गई थी। चार को गहरी चोटें आई थी। खुद विनीत को तीन महीने तक पीजीआई के ट्रॉमा सेन्टर में जिंदगी व मौत के बीच लड़ाई लड़नी पड़ी। छोटी उम्र में विनीत का हाैंसला भी गजब था। वो समझ चुके थे, अब सैन्य अधिकारी नहीं बन सकते। इस बात को मन में ठान लिया कि प्रशासनिक अधिकारी बनकर ही रहेंगे। पीजीआई से लौटने के बाद एचएएस की परीक्षा की तैयारी में जुट गए। तीसरी कोशिश में मंगलवार को जब नतीजा आया तो चौथा रैंक मिला।
आईपीएच विभाग में पंप ऑपरेटर के पद पर तैनात पिता की मौत के वक्त विनीत की उम्र करीब 9 साल की थी। बड़े भाई मनीष ठाकुर पर परिवार की जिम्मेदारी पड़ गई। नाहन में आईपीएच विभाग में क्लर्क के पद पर तैनात भाई मनीष ठाकुर ने ही विनीत की सफलता में एक अहम भूमिका निभाई है। एचएएस बने विनीत की सफलता में एक अहम बात यह भी है कि उन्होंने केवल सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाई की। बसाहां में दसवीं उत्तीर्ण करने के बाद नाहन के शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला से जमा दो की शिक्षा हासिल की। यहीं डिग्री कॉलेज में बीएससी नॉन मेडिकल की पढ़ाई पूरी की।
कमाल यह भी देखिए कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले विनीत ने एचएएस बनने के लिए कोई कोचिंग हासिल नहीं की। अलबत्ता इतना जरूर है कि सीडीएस की तैयारी के दौरान एक वैकल्पिक विषय की आंशिक तौर पर कोचिंग ली थी। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में विनीत काफी भावुक नजर आए। उन्होंने कहा कि मां खेती-बाड़ी करती है। पिता इस दुनिया में उसकी सफलता को देखने के लिए मौजूद नहीं है। आईपीएच में कार्यरत भाई पर परिवार की जिम्मेदारी है। बेहद ही खुशी से विनीत ने कहा कि कड़ी मेहनत की बदौलत ही उन्हें आज अपने जन्मदिन से एक दिन पहले सफलता का तोहफा मिला है।
उल्लेखनीय है कि एचएएस बने विनीत 28 नवंबर को अपना 25वां जन्मदिवस मनाएंगे। उन्होंने कहा कि युवाओं को असफलता या फिर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के बावजूद भी हौंसला नहीं छोड़ना चाहिए। अगर वो गिव अप कर देते तो आज इस मुकाम तक नहीं पहुंचते।
Latest
- 20 जून को होगी B.Ed की 8500 सीटों के लिए प्रवेश परीक्षा
- #Nahan : चुनावी रैली के दौरान भाजपा अध्यक्ष के साथ तस्वीर पड़ी महंगी, शिक्षक निलंबित
- मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राज्य नोडल अधिकारियों के साथ की निर्वाचन व्यय बैठक
- रिज मैदान पर दर्शकों के लिए दोगुना होगा IPL का रोमांच, BCCI ने स्थापित किया IPL फैन पार्क
- हिमाचल में तीन अध्यापकों ने किया 9 का काम, फिर भी शत-प्रतिशत रहा परिणाम