धर्मशाला : भिक्षु जामयांग वास्तव में भगवान बुद्ध और धर्मगुरु दलाई लामा की शिक्षाओं के अनुरूप पीडि़त मानवता की सेवा कर रहे हैं। यह विचार पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा झुग्गी झोपड़ी के बच्चों के लिए स्थापित नए स्कूल भवन का उदघाटन करते हुए रखे। उन्होंने कहा कि असली मंदिर वह है जहां पीडि़त मानवता की सेवा होती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश राज्य विकलांगता बोर्ड के सदस्य एवं उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने की।
इस अवसर पर बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर नशे की बुराई, मोबाइल के इस्तेमाल और प्रदूषण के खिलाफ लोगों को जागरूक भी किया। तिब्बती शरणार्थी बौद्ध भिक्षु जामयांग ने सराहां गांव में वर्ष 2011 में झुग्गी झोपड़ी के बच्चों के लिए हॉस्टल की शुरुआत की थी, अब वहां स्कूल भी चलाया जा रहा है। जिसमें झुग्गी झोपडिय़ों और बीपीएल परिवारों के 217 बच्चे आठवीं कक्षा तक उच्च गुणवत्ता वाली नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उनके लिए अत्याधुनिक विज्ञान प्रयोगशाला भी बनाई गई है। टोंगलेन ट्रस्ट के हॉस्टल का उदघाटन दलाई लामा और शांता कुमार ने 2011 में किया था। इसमें झुग्गी झोपडिय़ों के 95 बच्चे रहते हैं।
शांता कुमार ने कहा कि भिक्षु जामयांग बुध और दलाई लामा की करुणा को साकार रूप दे रहे हैं।निर्धन परिवारों के जिन बच्चों को कोई नहीं संभालता था, उन्हें इस चमत्कारी भिक्षु ने अपना बच्चा मानकर अपनाया और उनकी शिक्षा तथा समग्र विकास का प्रबंध किया। यही संदेश स्वामी विवेकानंद ने भी दिया था। उन्होंने कहा कि आज वे एक स्कूल का उदघाटन करने नहीं बल्कि मंदिर में ईश्वर का साक्षात दर्शन करने आए हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के नि:स्वार्थ सेवा प्रकल्प यदि देशभर में चलाए जाएं तो पीडि़त मानवता की इससे बड़ी सेवा कोई नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि इस भिक्षु ने सन्यास को एक नई परिभाषा दी है। सन्यास का अर्थ संसार को छोड़कर एकांत में तपस्या करना नहीं बल्कि समाज के बीच में रहकर नि:स्वार्थ भाव से समाज के उन वर्गों का सशक्तिकरण है जिन्हें कोई नहीं पूछता। उन्होंने कहा कि समाज को भिक्षु जामयांग से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल बच्चों के लिए 21 हजार रुपए भी दान किए। स्कूल के संस्थापक और टोंग लेन के निदेशक के जामियाग ने कहा कि उनके विनम्र प्रयासों का उद्देश्य बुद्ध की शिक्षाओं के अनुरूप समाज के दुर्बल वर्गों की सेवा करना और भारत के प्रति तिब्बती समुदाय की कृतज्ञता व्यक्त करना है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि वे लगभग 13 साल से टोंगलेन के साथ जुड़े हुए हैं। भिक्षु जामयांग ने न सिर्फ झुग्गी झोपड़ी के बच्चों की शिक्षा का प्रबंध किया बल्कि इस समुदाय के स्वास्थ्य और वोकेशनल ट्रेनिंग का जिम्मा लिया। आज टोंगलेन के हॉस्टल में रहकर पढ़े बच्चे विभिन्न क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस अवसर पर शांता कुमार ने संस्था को सहयोग करने वाले कुछ व्यक्तियों को सम्मानित भी किया जिनमें शंकर भी शामिल हैं।