नाहन: हौंसले में दम हो, लक्ष्य तय हो तो नामुमकिन को भी मुमकिन किया जा सकता है। बार-बार हार मिलने से हौंसला टूटे तो जीवन भर टीस का सामना करना पड़ता है। उत्तराखंड के नैनीताल के पोखाल की रहने वाली सोनाक्षी सिंह तोमर ने साबित कर दिया है कि दिव्यांगता को हराकर भी मंजिल पाई जा सकती है। 21 साल की उम्र में आईएएस अधिकारी बनने की ठान ली थी। चौथी कोशिश में हार को शानदार जीत में तब्दील कर लक्ष्य को भेद डाला।
2016 बैच की आईएएस अधिकारी सोनाक्षी सिंह तोमर बचपन से ही दिव्यांग है। अब उन्होंने सिरमौर के सराहां में बतौर एसडीएम अपनी पारी शुरू की है। इससे पहले त्रिपुरा में प्रशासनिक पदों पर तैनात रही। इस दौरान भी त्रिपुरा फ्लड रिलीफ ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई। दिव्यांगता की वजह से ही आईएएस सोनाक्षी का कैडर त्रिपुरा से बदलकर हिमाचल किया गया है। दिसंबर 2018 में ही भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी कार्तिकेय से परिणय सूत्र में बंधी हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद ही आईएएस बनने की ठान ली थी।
यूपीएससी की परीक्षा में तीन बार असफलता मिलने के बावजूद माता-पिता की लाडली बेटी का हौंसला नहीं डगमगाया, क्योंकि वो जानती थी कि हौंसले व कठिन परिश्रम से मंजिल दूर नहीं रह गई है। पिता मुकेश सिंह तोमर हाल ही के सालों में उत्तराखंड पर्यटन विभाग से सेवानिवृत हुए हैं, जबकि मां पुष्पा तोमर अब भी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। सीधे शब्दों में कहती हैं कि प्रशासनिक सेवा का मतलब समाज सेवा ही है।
सनद रहे कि राज्य सरकार ने चंद माह पहले ही सराहां उपमंडल को अधिसूचित किया है। यहां पर एचएएस अधिकारी रामेश्वर दास की बतौर एसडीएम पहली नियुक्ति की गई थी। आईएएस सोनाक्षी पहली महिला एसडीएम तो होंगी ही, साथ ही एक प्रेरणादायक स्त्रोत भी बनी हैं।
युवाओं को संदेश…
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से आईएएस सोनाक्षी तोमर ने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी में जुटे युवाओं को कुछ टिप्स भी दिए हैं। उनका कहना है कि एक वक्त था, जब विशेष कोचिंग की आवश्यकता पड़ती थी, लेकिन मौजूदा समय में सामग्री ऑनलाइन उपलब्ध हो रही है। उनका कहना था कि वो यह नहीं कहते कि सेल्फ स्टडी के दम पर ही सफलता मिली है, क्योंकि उन्होंने दो विषयों को लेकर थोड़ी कोचिंग ली थी। उल्लेखनीय है कि सोनाक्षी तोमर ने 747वां रैंक हासिल किया था।
उन्होंने कहा कि समय रहते ही मंजिल को तय कर लिया जाना चाहिए। साथ ही परीक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम का बारीकी से आकलन करना जरूरी होता है। उन्होंने कहा कि वो युवाओं को मार्गदर्शन के लिए हर वक्त उपलब्ध रहेंगी।
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