नाहन : अयोध्या प्रकरण पर सुप्रीम फैसले को लेकर केंद्र सरकार खासी चिंतित नजर आई, लेकिन देशवासियों ने सौहार्द को लेकर अपनी भूमिका बखूबी निभाने का प्रयास किया। यही वजह रही कि पूरा देश आपसी भाईचारे के रंग में रंगा नजर आ रहा था। लेकिन इस बीच आपको एक मुस्लिम-हिन्दू सौहार्द की एक खास खबर से रू-ब-रू करवाया जा रहा है।
शहर के रामकुंडी के समीप माता बालासुंदरी मंदिर का निर्माण आज आकर्षक रूप ले चुका है। इस मंदिर के निर्माण का सूत्रधार मुस्लिम परिवार है। हिन्दू परिवारों से मिलकर मंदिर का निर्माण करवाया गया था। इसकी प्राण प्रतिष्ठा 27 मार्च 1994 को हुई थी। सौहार्द का यह दुर्लभ उदाहरण अपने में इस कारण भी खास है, क्योंकि इस मंदिर के रखरखाव की जिम्मेदारी भी मुस्लिम परिवार बखूबी उठाता है। मंदिर कमेटी की बागडोर बुजुर्ग मुस्लिम याकूब बेग संभालते रहे हैं। जबकि महासचिव की जिम्मेदारी को दुर्गा सिंह संभालते रहे हैं।
मंदिर के निर्माण को 25 साल पूरे हो चुके हैं। हर साल भंडारे में चावल का दान सैय्यद बेग करते हैं। गौरतलब है कि मंदिर के निर्माण के सूत्रधार याकूब बेग एक अरसे से अंजुमन इस्लामिया कमेटी का भी नेतृत्व करते आ रहे हैं। बेग का कहना है कि मंदिर का निर्माण 40 परिवारों ने करवाया है। इसमें 15 मुस्लिम परिवार हैं। सब मिल-जुल कर देख-रेख करते हैं।
क्या है इतिहास..
बताया गया, 1992-93 में शमशेरपुर कैंट में प्राथमिक पाठशाला का भवन बनना शुरू हुआ। लेकिन कोई न कोई बाधा पैदा हो जाती थी। फिर एक महिला को स्वप्र में समीपवर्ती चोटी पर मंदिर बनाने के आदेश माता बालासुंदरी ने स्वयं दिए। इलाके के मुस्लिम व हिन्दू परिवारों ने मिलकर मंदिर का निर्माण करवाया। इसके बाद से स्कूल भवन के निर्माण में कोई भी बाधा पैदा नहीं हुई। (लोगों की धारणाओं व आस्था के मुताबिक)