नाहन : देश में नोटबंदी के 3 साल बाद भी नवरात्र मेलों के दौरान देवभूमि के शक्तिपीठों में बड़ी संख्या में पुराने नोट चलन में नजर आए हैं। श्रद्धालुओं ने मां के चरणों में पुराने नोट अर्पित किए। इसके बाद से लगातार यह सवाल उठ रहा था कि क्या लोगों को आज भी नहीं पता कि पुराने नोट चलन में नहीं है।
इसी सवाल का जवाब ढूंढने का प्रयास एमबीएम न्यूज नेटवर्क द्वारा किया गया। इस पर चौंकाने वाली बात सामने आई। दरअसल श्रद्धालुओं ने नोटबंदी से पहले मन्नत मांगी होगी। जब घरों में अपने पूजा स्थल पर लोग मन्नत मांगते हैं या फिर माता से दुःख निवारण की प्रार्थना करते हैं, उस समय एक संकल्प लिया जाता है। “बांधे” के रूप में नोट, चावल व कुमकुम आदि को एक कागज में रख कर कपड़े में बांध दिया जाता है।
मन्नत या दुःख का निवारण होने पर संकल्प लिया जाता है कि जब मन्नत पूरी होगी या दुःख का निवारण होगा तो इस बांधे को मां के चरणों में परिवार खुद आकर अर्पित करेगा। लिहाजा यही वजह हो सकती है कि पुराने नोट शक्तिपीठों में अर्पित किए जा रहे हों। हाल ही में बृजेश्वरी शक्तिपीठ से यह खबर आई थी कि श्रद्धालुओं ने मां के चरणों में भेंट के रूप में बड़ी संख्या में पुराने नोट चढ़ाए। इसके बाद हिमाचल-हरियाणा की सीमा पर स्थित मां बाला सुंदरी मंदिर न्यास से भी जानकारी जुटाई गई। तब यह पता चला कि श्रद्धालुओं द्वारा जो संकल्प लिया गया होगा। उसी के तहत भेंट चढ़ाई गई होगी।
अगर श्रद्धालुओं ने नोटबंदी से पहले बांधा रखा होगा तो अब मन्नत पूरी होने पर इसे अर्पित किया गया। उल्लेखनीय है कि मां बाला सुंदरी के चरणों में भी पुराने नोट अर्पित किए गए।
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