भुंतर : गड़सा घाटी में बाल विवाह रुकवाया गया है। विभाग की सतर्कता से एक कच्ची कली को समय से पहले शादी के बंधन में बंधने से रोक लिया गया। कार्यक्रम अधिकारी वीरेंद्र सिंह आर्य के नेतृत्व में जिला की गड़सा घाटी में शादी के फेरे लेने से पहले ही बाल विवाह को रुकवा दिया गया। जानकारी के अनुसार गड़सा घाटी के एक गांव में जिला कार्यक्रम अधिकारी को बाल विवाह होने की जानकारी मिली। जिस पर वीरेंद्र आर्य ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उस घर में दलबल के साथ दबिश दी।
जांच करने पर पाया गया कि दुल्हन 17 साल 6 माह उम्र की है। जो दूल्हा उसे अपनी अर्धांगनी बनाने को उसके साथ सात फेरे लेने आया था उसकी उम्र लगभग 31 साल से ज्यादा थी। वीरेंद्र आर्य की टीम ने उनकी काउंसलिंग करते हुए जब उनके परिजनों को कानूनी दांवपेंच समझाए तो दोनों के परिजनों ने बताया कि उनको इसकी जानकारी नहीं थी। दुल्हन के पिता ने कहा कि वह अपनी बेटी को आगे शिक्षा दिलाएंगे। जबकि दूल्हा पक्ष का कहना था कि उनको इसकी जानकारी ही नही थी कि दुल्हन नाबालिग है।
जानकारी के मुताबिक दूल्हा बारात लेकर लड़की के घर पहुंचा था और फेरे लेने की तैयारी थी। लड़का मंडी जिला के पण्डोह से बारात लेकर आया हुआ था। लेकिन जिला कार्यक्रम अधिकारी के नेतृत्व में पहुंची टीम ने बाल विवाह को रुकवाते हुए दूल्हे को बेरंग लौटा दिया। इस मौके पर नरेश कौंडल, संरक्षण अधिकारी निर्मला देवी व विधि अधिकारी चंद पठानिया मौजूद थे।
समाज में आज भी पहाड़ी एरिया के ऊंचे स्थानों में कुछ ऐसे लोग हैं जो लड़का-लड़की की उम्र को न देखते हुए उन्हें शादी के बंधन में बांधने की कोशिश करते हैं। जबकि नाबालिग लड़का-लड़की की शादी कानूनी तौर पर अवैध मानी जाती है। ऐसे भी छोटी उम्र में लड़कियां मां बनने के काबिल नहीं होती है।