राजगढ़ : ग्रामीण परिवेश में शिक्षा ग्रहण करके आईना ने चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में दस्तक देकर अपनी माता सुमन का सपना पूरा किया है। आईना का हिप्र विश्वविद्यालय से बीएएमएस के लिए चयन हुआ है और इन्होने राजीव गांधी राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय पपरोला में दाखिला ले लिया है। वर्तमान परिपे्रक्ष्य में भले ही काॅनवेट एवं निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने का अभिभावकों का क्रेज बना हुआ है परन्तु गांव के स्कूल अतीत से ही ज्ञान का भण्डार है और आज जिन लोगों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में ऊंचाईयों को छुआ है वह सभी विभूतियां गांव के स्कूलों से निकली है।
कुमारी आईना कश्यप का जन्म जुलाई 2001 में नारग के समीप कथेड़-मलहोटी नामक गांव में हुआ। इनके पिता तारा सिंह कश्यप एक प्रगतिशील किसान है जबकि इनकी माता सुमन कश्यप आंगनबाड़ी केंद्र में बतौर कार्यकर्ता कार्यरत है। पांचवी कक्षा मलहोटी स्कूल में उतीर्ण करने के उपरांत आईना ने आठवी कक्षा के लिए मिडल स्कूल मढ़ीघाट में प्रवेश लिया। आठवी कक्षा पूर्ण करने के उपरांत आईना ने जवाहर नवोदय विद्यालय में नवीं कक्षा में प्रवेश के लिए परीक्षा दी और अच्छे अंकों से पास हुई और दस जमा दो तक जवाहर नवोदय विद्यालय में मेडिकल विषय में शिक्षा ग्रहण की ।
कुमारी आईना कश्यप का कहना है कि वह अपने जीवन में एक आदर्श अध्यापिका बनना चाहती थी परन्तु माताजी द्वारा उन्हें डाॅक्टर बनने को प्रेरित किया और आईना ने माता का स्वप्न पूरा करने के लिए वर्ष 2018 में दस जमा दो की परीक्षा उतीर्ण करने के उपरांत कैरियर अकादमी स्कूल में नाहन में कुछ दिनों के लिए कोचिंग हेतू प्रवेश लिया। जबकि बच्चे अक्सर पीएमटी की कोचिंग के लिए चण्डीगढ़ और दिल्ली जाते हैं।
आईना द्वारा वर्ष 2019 में पीएमटी की प्रतियोगिता में भाग लिया और उसमें उनका चयन बीडीएस के लिए हुआ। परन्तु आईना ने उसमें प्रवेश नहीं लिया। इसके उपरांत मेरिट के आधार पर आईना का हिप्र विश्वविद्यालय में बीएएमएस के लिए चयन हुआ जिससे आईना के परिवार में एक खुशी का माहौल हो गया ।
कुमारी आईना से जब इस बारे बात हुई तो उसने कहा कि मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती हूं जिनके आर्शिवाद और प्रेरणा से मैं उनके सपनों को पूरा कर सकी हूं। उन्होने कहा कि मैं अब पूरी मेहनत और लग्न के साथ चिकित्सक का प्रशिक्षण पूरा करूगी ताकि समाज के पीड़ित वर्ग की सेवा कर सकूं। आईना के पिता तारा सिंह का कहना है कि आईना को बचपन से ही पढ़ाई का बहुत शौक था और हर कक्षा में अव्वल रहती थी।
उनका कहना है कि आईना अपनी पढ़ाई के साथ साथ घर पर खेती इत्यादि के कार्य में अपना हाथ बंटाती थी। जबकि तारा सिंह कश्यप के परिवार से उनके भाई-भाभी इत्यादि सरकारी सेवा में कार्यरत हैं, परन्तु आईना ने अपनी मेहनत और कठिन परिश्रम से मुकाम हासिल किया है।