नाहन : पहाड़ी राज्य हिमाचल की पहचान खूबसूरत वादियों व सेब के उत्पादन के लिए होती है। इसके अलावा हरेक क्षेत्र में हिमाचलियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। जल्द ही प्रदेश की पहचान में एक तमगा ओर जुडे़गा। आप यह जानकर रोमांचित हो जाएंगे कि देवभूमि में पिस्टल का उत्पादन होने लगा है।
यह भी एक दंग करने वाली जानकारी है कि प्रदेश के एक शख्स ने देश में पिस्टल व रिवॉल्वर के उत्पादन का पहला लाईसेंस हासिल किया है। यही नहीं, बल्कि असले को बनाने की अनुमति गृह मंत्रालय से हासिल की है। फिलहाल पिस्टल का उत्पादन शुरू हो चुका है। चरणबद्ध तरीके से रिवॉल्वर भी बननी शुरू हो जाएगी। पूर्वज बंदूकों व बारूद को बनाने के माहिर थे। यही एक ऐसी मैरिट थी, जिस कारण शकील अहमद ने लाईसेंस हासिल करने में बड़े औद्योगिक घरानों को पछाड़ दिया। जल्द ही देश भर के 1200 डीलर्स के नेटवर्क के माध्यम से हिमाचल की बनी पिस्टल बाजार में उतरेगी।
आपके जहन में यह भी सवाल उठ सकता है कि इलैक्ट्रिशियन के तौर पर अपने जीवन का कैरियर शुरू करने वाले शकील अहमद ने लाईसेंस लेने के नामुमकिन से कार्य को मुमकिन कैसे कर दिखाया, तो इसका जवाब यह है कि उन्होंने न केवल अपने पुरखों की विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास किया, बल्कि एक लक्ष्य तय किया था।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा पीढ़ी में शहर के आतिशबाज हर साल लोकल बारूद से आतिशबाजी तो बनाते हैं, लेकिन किसी ने पिस्टल व रिवॉल्वर जैसे हथियार बनाने की दिशा में कदम नहीं उठाए। इसकी वजह यह है कि एक लंबी जटिल प्रक्रिया का सामना करना हरेक के बस में नहीं है। उल्लेखनीय है कि पहले सरकार की आर्डिनेंस फैक्टरियों में ही हथियारों का उत्पादन होता था, लेकिन दो साल पहले सरकार ने इस क्षेत्र में निजी कंपनियों को भी उतारने का फैसला लिया था।
क्या है फीचर्स…
फिलहाल, पिस्टल तैयार है। तीन कीमतों में उपलब्ध होने वाली पिस्टल को खरीदने के लिए शौकीन सीधे फैक्टरी में भी ऑर्डर दे सकते हैं। साथ ही 250 फीट लंबी रेंज में टैस्टिंग के बाद खरीद कर सकते हैं। इसके लिए लाईसेंस लाजमी होगा।
निशानेबाजों के लिए खास पिस्तौल….
शकील अहमद की मानें तो निशानेबाजों के लिए एक अलग किस्म की पिस्तौल तैयार की जा रही है। इसमें 14 बुलेट लोड हो सकेंगी। जबकि आम लाईसेंसधारकों के लिए इसकी क्षमता कुछ कम रखी गई है।
यह हैं खूबियां….
दरअसल देश में पहले यूएसए की बनीं पिस्तौलें व रिवॉल्वर मिलती थी। इसकी कीमतें कई गुणा अधिक होती थी। अब शकील अहमद की फैक्टरी में उत्पादित वैपन की कीमतों में काफी गिरावट आई है। इसकी बड़ी वजह यह है कि यूएसए से सिर्फ मैटल मंगवाया जा रहा है। करीब 8 चरणों के बाद अंतिम सांचे में इन हथियारों को ढाला जाता है।
दावा यह भी है कि सधी हुई कारीगरी से उत्पादन हो रहा है। जल्द ही कुछ अन्य आधुनिक उपकरण भी लगाए जाएंगे। पिस्टल का वजन 550 ग्राम है। इसकी खूबसूरती यह भी है कि फायर के दौरान यह दाएं व बाएं नहीं चलेगी, बल्कि हल्की चूक पर नीचे या ऊपर की तरफ फायर जाएगा।