जीता सिंह नेगी/रिकांगपिओ
हिमाचल पथ परिवहन निगम की रिकांगपिओ डिपो की बस में सफर कर रहे हो तो यह सुनिश्चित कर लें कि निगम की बसें कहीं भी धोखा दे सकती है। इन दिनों निगम की बसें बीच रास्ते में ही खड़ी हो रही है। आखिर हो भी क्यों न हो। डिपो की करीब 10 बसें अपनी बुक वैल्यू खत्म कर चुकी है, बावजूद इसके यह खटारा बसें सड़कों पर दौड़ रही है। यह हम नही रिकांगपिओ डिपो के आरएम स्वंय कह रहे है।
प्रदेश में बसों की दुर्घटनाओं से पूरा जिला सहमा है, लेकिन जनजातीय क्षेत्र के संकरे मार्गों पर यात्रियों को मजबूरन खटारा बसों में सफर करना पड़ता है। ऐसे में कई बार सड़कों पर दौड़ रही खटारा बसें बीच में ही हांफ जाती है। सुरक्षा की दृष्टि से इन खटारा बसों का सडकों पर दौड़ना खतरे से खाली नहीं है। रविवार को भी निगम की रिकांगपिओ डिपो की बस (एचपी 25ए 2236) रिकांगपिओ-पवारी मार्ग पर फंस गई। बस धर्मपुर से रिकांगपिओ के लिए रात को चली थी जो सुबह 8 बजे रिकांगपिओ बस अड्डे पहुंचनी थी।
इस दौरान बस तीखे मोड़ पर फंस जाने से यातायात भी प्रभावित हुआ। बस को तब वहां से हटाया जब वर्क शॉप से मेकेनिक वहां पहुंचे। इस दौरान बस में सवार यात्रियों को घंटो इंतजार कर दूसरे वाहनों से रिकांगपिओ आना पड़ा या टैक्सी बुलाने पर मजबूर होना पड़ा। यह पहली मर्तबा नहीं है, इससे पूर्व भी डिपो की बसें आधे रास्ते में हांफ जाती है।
हैरानी की बात है कि निगम कमाई के चक्कर में इन खटारा बसों को आराम देने की बजाए सडकों पर दौड़ाए हुए हैं। ऐसे में निगम प्रदेश में लगातार हो रही घटनाओं से भी सीख नहीं ले रहा है, जहां कई लोगों ने अपनो को खो दिया है। सूत्रों की मानें तो डिपो की एकमात्र वर्कशॉप में बसों के कलपुर्जे तक नहीं है ताकि बसों की मुरम्मत की जा सके। जिले में 100 बसों की आवश्यक्ता है, मगर डिपो में सिर्फ 88 बसें है।