एमबीएम न्यूज़/ऊना
वीरांगना पत्नी श्वेता की गोद में महज 6 महीने के बेटे को छोड़कर 27 वर्षीय शहीद अनिल जयसवाल पंचतत्व में विलीन हो गया। शहीद के पांच महीने के बेटे वरुण ने शहीद के चचेरे भाई व अपने चाचा संदीप जयसवाल की गोद में चढ़कर पिता की पार्थिव देह को घर पर नमन किया। मंजर देख कर कर कोई बिलख उठा। नन्हे मासूम ने जन्म के बाद पिता की गोद में चंद घंटों का ही वक्त बिताया होगा। उसे क्या मालूम कि उसके जन्म लेने के चंद महीने बाद ही पिता देश पर कुर्बान हो कर स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम इतिहास दर्ज करवा लेंगे। दोपहर बाद जब शहीद की पार्थिव देह घर पहुंची तो चींख-पुकार से पूरा गांव गूंज उठा। चचेरे भाई संदीप जयसवाल ने शहीद की पार्थिव देह को मुखाग्नि दी।
अगर स्वतंत्रता सेनानी प्रभु दयाल की रूह देख रही होगी तो वो भी अपने पोते की शहादत पर फक्र महसूस कर रही होगी। मां भारती की सेवा में परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य शहीद अनिल जसवाल ने देश सेवा का बीड़ा उठाया था। शहीद अनिल ने कश्मीर घाटी के अनंतनाग में आतंकवादियों के खिलाफ उस ऑपरेशन में शहादत पाई, जिसमें मेरठ के मेजर केतन शर्मा ने भी शहादत को चूमा था। 16 जून 1992 को जन्मे शहीद अनिल जसवाल ने छोटी सी उम्र में ही खुद को भारत मां के हवाले 15 जुलाई 2013 को कर दिया था।
करीब 2 साल पहले ही वे श्वेता से परिणय सूत्र में बंधे थे। शहीद अनिल ने 7 जून को ही घर से वापसी की थी। वादा किया था कि जल्द ही दोबारा लौटकर अपने मासूम बेटे के साथ जमकर समय बिताएंगे। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। भारत मां की रक्षा में शहीद लाल की पार्थिव देह दोपहर 1:00 बजे के आस-पास देवभूमि के प्रवेश द्वार मैहतपुर पहुंच गई थी। लगभग 1:30 बजे के आसपास ऊना पहुंचने पर समूचे प्रशासन के अलावा सेना की टुकड़ी ने शहीद को पूरे सम्मान के साथ सेल्यूट किया।
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उल्लेखनीय है कि शहीद की वीरांगना पत्नी को बुधवार सुबह नौ बजे तक भी पति की शहादत की सूचना नहीं दी गई थी। लाडले बेटे की शहादत पर बंगाणा उपमंडल की चमयाड़ी पंचायत के सरोह गांव में हजारों आंखें नम तो थी, लेकिन लाल की शहादत पर हर कोई गर्व भी महसूस कर रहा था।
छोटी सी उम्र में हिमाचली लाल आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान सोमवार को घायल हो गया था। मंगलवार की रात शहादत का जाम पीकर भारत मां की रक्षा में खुद को न्यौछावर कर दिया था। शहीद के दादा एक स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने देश को आजाद करवाने में अपनी एक अहम जिम्मेदारी निभाई। पिता से प्रेरित होकर बेटे अशोक कुमार ने भी भारतीय सेना में देश की रक्षा करने की ठानी, जिन्होंने ने भी अपने बेटे अनिल को देश के हवाले करने का जज्बा दिखाया था। 13 जैक राइफल के जवान अनिल ने बचपन से ही देशभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा हुआ था।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच करीब 12 घंटे मुठभेड़ में एक आतंकी मारा गया था। इसमें एक मेजर सहित 2 जवान शहीद हुए थे। अनिल इस हमले में घायल हुआ था। पार्थिव देह दोपहर सवा तीन बजे आसपास घर पहुंची, कुछ देर बाद शहीद की अंतिम यात्रा शुरू ह गई। शहीद का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान से किया गया। प्रशासन के इलावा कैबिनेट मंत्री वीरेंद कंवर भी मौजूद थे।