एमबीएम न्यूज/नाहन
पशुधन एक बेशकीमती गहना है। शनिवार को विश्व पशु चिकित्सा दिवस मनाया गया। इस खास दिन एक अहम बात उभर कर आई है। इसके मुताबिक बेजुबान जानवरों के लिए महिलाएं वैटर्नरी चिकित्सक बनकर अहम भूमिका निभा रही हैं।
एमबीएम न्यूज ने पड़ताल की तो पाया कि समूचे सिरमौर में 18 पशु चिकित्सकों में से 7 पदों पर महिलाएं तैनात हैं। इसमें डॉ. नीरू शबनम तो सहायक निदेशक के पद तक पहुंच चुकी हैं। नेहलीधीड़ा, हाब्बन, राजगढ़, हरिपुरधार, पॉली क्लीनिक नाहन व माजरा में इस समय महिलाएं पशु चिकित्सक तैनात हैं। इसमें डॉ. दीपिका, डॉ. अंकिता, डॉ. रीतिका, डॉ. किरण व डॉ. नम्रता शामिल हैं।
अहम बात यह है कि 90 के दशक तक महिलाएं इस प्रोफेशन को अपनाने से हिचकिचाती थी, लेकिन अब न केवल महिलाएं वैटर्नरी डॉक्टर बन रही हैं, बल्कि फार्मासिस्ट के पद पर भी अपनी सेवाएं बखूबी देने लगी हैं। सनद रहे कि करीब 6 महीनों के बीच युवा पशु चिकित्सकों ने पशुधन को बचाने के लिए कई दुलर्भ शल्य चिकित्सा को मौके पर ही अंजाम दिया है। एक मोटी जानकारी के मुताबिक प्रदेश भर में इस समय लगभग 120 महिला चिकित्सक तैनात हैं। इसके अलावा पालमपुर वैटर्नरी कॉलेज में तो महिलाएं पुरुषों से भी आगे निकल रही हैं। शनिवार को माता बालासुंदरी गौशाला में वैटर्नरी डे मनाया गया।
इस दौरान उपायुक्त ललित जैन ने भी इस प्रोफैशन के प्रति महिलाओं के ब़ढ़ते रूझान की प्रशंसा की। बहरहाल पशु एक मूक जानवर है, जिसका दर्द केवल पशु चिकित्सक ही समझ सकते हैं।