एमबीएम न्यूज/नाहन
शहर के बीचोंबीच से नेशनल हाईवे के निर्माण को लेकर आहट सुनाई देने लगी है। यही कारण है कि सड़क के दोनों तरफ आवासीय व व्यवसायिक भवनों के ढहने की चिंता सताने लगी है। कुछ समय से भवन मालिकों को नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं। साथ ही पैमाईश भी हुई है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को वाल्मीकि बस्ती से बिरोजा फैक्टरी तक रहने वाले 173 परिवारों ने पत्र लिखा है। इसमें बकायदा हस्ताक्षर के साथ प्रभावितों के मोबाइल नंबर भी दर्ज किए गए हैं।
इसमें कहा गया है कि हाईवे के निर्माण से उनके भवन जद में आ जाएंगे। सवाल इस बात पर उठ रहा है कि जब बिरोजा फैक्टरी से वाया धानक्यारी-कांशीवाला बाईपास प्रस्तावित है तो इस दिशा में क्यों कदम नहीं उठाया जा रहा। साथ ही तर्क यह भी दिया जा रहा है कि करीब 40 से 50 फीसदी बाईपास का निर्माण हो भी चुका है। तर्क यह भी दिया गया है कि अगर वाल्मीकि बस्ती से बिरोजा फैक्टरी हाईवे का निर्माण होता है तो इसकी जद में 1865 में निर्मित लिटन मैमोरियल के अलावा ऐतिहासिक गुरुद्वारा व चौगान मैदान भी आएगा। करीब तीन साल पहले कांशीवाला से बिरोजा फैक्टरी तक टनल के निर्माण का प्रस्ताव भी सामने आया था, क्योंकि धारक्यारी बाईपास के निर्माण में सेना से जुड़ी कुछ आपत्तियां सामने आई थी।
प्रश्न इस बात पर भी पैदा हो रहा है कि आखिर सुरंग के निर्माण को लेकर कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे। पुराने प्रस्ताव पर ही कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सकता है। दलील यह भी है कि कांशीवाला-धारक्यारी-बिरोजा फैक्टरी बाईपास के निर्माण से सरकार के करोड़ों रुपए बचेंगे, क्योंकि इस तरफ अधिकतर सरकारी जमीनें ही आएंगी। पत्र में यह भी हवाला दिया गया है कि लोक निर्माण विभाग के नेशनल हाईवे विंग ने भी बाईपास के विकल्प को प्रस्तावित किया है। इस बाबत 15 जून 2018 को पत्र लिखा गया था।
उल्लेखनीय है कि नेशनल हाईवे 907ए का निर्माण दोसड़का-वाल्मीकि बस्ती-बिरोजा फैक्टरी-शिमला के तहत प्रस्तावित है। नेशनल हाईवे विंग द्वारा पैमाइश के बाद भवन मालिकों में हडकंप मचना शुरू हो गया है। विरोध जताने के मकसद से हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। आरटीआई के तहत विनोज शर्मा द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक दोसड़का से बिरोजा फैक्टरी तक निशानदेही हो चुकी है, इसकी रिपोर्ट 15 जून 2018 तक प्रतिक्षित थी। साथ ही यह भी जानकारी दी गई थी कि नाहन बाईपास को 2018-19 के वार्षिक प्लान में शामिल किया गया है, लेकिन मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिली है।