वी कुमार/मंडी
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में इस बार काफी कुछ परिवर्तन हुआ है। परिवर्तन में एक ऐसी पुरानी पंरपरा को बहाल किया गया है जिसका हर कोई स्वागत कर रहा है। मंडी के राजा माने जाने वाले राज माधव राय की पालकी को अब कुली नहीं बल्कि देव समाज से जुड़े लोग उठा रहे हैं। पूरी कहानी जानिए इस रिपोर्ट में। मंडी रियासत के राजा माने जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण के रूप राज माधव राय की पालकी को अब कुली नहीं बल्कि देव समाज से जुड़े देवलु उठा रहे हैं। यह परिवर्तन इस बार के शिवरात्रि महोत्सव से शुरू हुआ है।
जब राजाओं के राज थे तो उस वक्त राज माधव राय की पालकी को राय परिवार के सदस्य उठाया करते थे। जब भी शिवरात्रि महोत्सव में राज माधव राय की पालकी ले जाने की बात होती थी तो इसी परिवार के सदस्य पालकी उठाकर ले जाते और वापिस लाते थे। लेकिन राजाओं के राज समाप्त होने के बाद बागड़ोर प्रशासन के हाथ में आई और प्रशासन ने पालकी उठाने के लिए कुलियों को सहारा लेना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे दौर आगे बढ़ता गया और इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। वर्षों बीत जाने के बाद अब इस पर ध्यान दिया गया।
सर्व देवता समिति एवं कारदार संघ ने निर्णय लिया कि राज माधव राय की पालकी को उठाने के लिए कुली की स्थान पर देवलुओं और कारदारों का सहारा लिया जाएगा। सर्व देवता समिति एवं कारदार संघ के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने बताया कि वर्षों पुरानी पंरपरा को इस बार के महोत्सव से बहाल कर दिया गया है। अब पालकी उठाने के लिए कुली नहीं लिए जाएंगे। बता दें कि शिवरात्रि महोत्सव में तीन शोभा यात्राएं निकलती हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में जलेब कहा जाता है। इन सभी शोभा यात्राओं की अगुवाई राज माधव राय ही करते हैं।
जब राज माधव राय की पालकी और उनकी कुर्सी मंदिर परिसर से बाहर निकलती है तभी शोभा यात्रा का आगाज होता है। देवता समिति एवं कारदार संघ ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि पालकी को उठाने वाले नंगे पांव चलेंगे। किसी प्रकार से जुतों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। पालकी उठाने के लिए चार और कुर्सी उठाने के लिए एक व्यक्ति का सहारा लिया जाता है।
कौन हैं राज माधव राय
राज माधव राय भगवान श्रीकृष्ण का रूप माने गए हैं। 17वीं सदी के दौरान मंडी रियासत के राजा सूरज सेन के सभी 18 पुत्रों की मौत हो गई। तब उन्होंने अपना राजपाठ भगवान श्रीकृष्ण के रूप यानी राज माधव राय के नाम कर दिया और खुद सेवक बन गए। तब से इन्हें मंडी रियासत का राजा माना गया।
जब भी इस महोत्सव की शुरूआत होती है तो सीएम सबसे पहले राज माधव राय की पूजा करते हैं। उपरांत इनकी पालकी को शोभा यात्रा में सबसे आगे चलाया जाता है। महोत्सव में आने वाले सभी देवी-देवता सबसे पहले राज माधव राय मंदिर में ही हाजरी भरते हैं। इसके बाद ही इस महोत्सव में शामिल होते हैं।