मोक्ष शर्मा/शिमला
प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी यूनियन ने सीटू के बैनर तले विधानसभा का घेराव किया। कर्मियों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने आउटसोर्स कर्मियों के लिए ठोस नीति बनाने की बात कही थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा अपने वायदे से मुकर गई है।
प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के उस बयान की भी कड़ी निंदा की जिसमें सीएम ने आउटसोर्स कर्मियों को कांग्रेस के समय में भर्ती किए जाने की बात कही है। उनका कहना है कि वो न तो कांग्रेसी है न भाजपाई, केवल प्रदेश को सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने सरकार से नीति बनाकर बिचौलियों को हटाकर वेतन दिए जाने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि आउटसोर्स कर्मचारी नियमित 18 हजार रुपए के वेतन की मांग कर रहे हैं। गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने विधानसभा में यह स्पष्ट कर दिया था कि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनाने पर कोई विचार नहीं किया जा सकता।
सुबह 11 बजे स्वास्थ्य, बिजली, आईपीएच, कृषि, फूड एन्ड सिविल सप्लाई, फारेस्ट, एसएलडीसी, सचिवालय, फाइनेंस, ट्रांसपोर्ट, शिक्षा, आईजीएमसी, केएनएच आदि विभागों के सैंकड़ों आउटसोर्स कर्मी पंचायत भवन में एकत्रित हुए व एक रैली के रूप में विधानसभा पहुंचे जहां पर एक जनसभा की गई। इस जनसभा को सीटू नेता डॉ कश्मीर ठाकुर व अन्य नेताओं ने सम्बोधित किया। बाद में आउटसोर्स कर्मचारी यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला व उन्हें पांच सूत्रीय मांग पत्र सौंप कर आउटसोर्स कर्मियों के लिए ठोस नीति बनाने की मांग की।
यूनियन अध्यक्ष यशपाल ने कहा है कि प्रदेश सरकार की आउटसोर्स कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदेश में आंदोलन तेज होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार आउटसोर्स कर्मचारियों के प्रति सौतेला व्यवहार अपना रही है व उनकी अनदेखी की जा रही है। उनके लिए न तो कोई स्थायी नीति बनाई जा रही है और न ही उन्हें नियमित किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के समान कार्य के समान वेतन के निर्णय के बावजूद उसे लागू नही किया जा रहा है। आउटसोर्स एजेंसियों द्वारा श्रम कानूनों की खुली उल्लंघना जारी है परन्तु प्रदेश सरकार मौन है जिस से स्पष्ट है कि यह सरकार शोषण को बढ़ावा दे रही है।
यूनियन महासचिव नोख राम ने मांग की है कि आउटसोर्स कर्मियों को 18 हजार रुपये न्यूनतम वेतन दिया जाए। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार के आईपीएच मंत्री व मुख्यमंत्री विधानसभा में आउटसोर्स कर्मियों के खिलाफ वक्तव्य जारी करके उनका अपमान कर रहे हैं जिसे कतई सहन नहीं किया जाएगा। उनके द्वारा आउटसोर्स कर्मियों के लिए कोई नीति न बनाने की बात से पूर्णतः सिद्ध हो रहा है कि वर्तमान सरकार भूतपूर्व सरकार से किसी मामले में भो भिन्न नहीं है व कर्मचारी विरोधी है। आउटसोर्स कर्मचारियों से 10 से 12 घण्टे काम करवाया जा रहा है व इन्हें न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। ओवरटाइम का भुगतान न करके तथा संख्या से कम कर्मचारी भर्ती करके उनका भारी शोषण जारी है। उन्हें ईपीएफ,मेडिकल,बोनस,ग्रेच्युटी,छुट्टियों आदि सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। इस तरह ये कर्मचारी भारी शोषण के शिकार हैं। भूतपूर्व कांग्रेस सरकार की तरह ही वर्तमान भाजपा सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों को ठगने का कार्य कर रही है। ये सरकार इन कर्मचारियों के लिए नीति बनाने के बजाए इनकी संख्या को 42 हजार के बजाए 10 हजार बताकर गुमराह करने की कोशिश कर रही है। इस तरह यह सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों की भूमिका को दरकिनार कर रही है।