संजीव ठाकुर/नौहराधार
कहते हैं, हिम्मत व साहस हो तो मुश्किल से मुश्किल चुनौती को पार किया जा सकता है। इस बात की कसौटी पर दुर्गम इलाकों में रहने वाले पहाड़ी परिवेश के लोग बखूबी खरा उतरते हैं। समूचे इलाके में बर्फ की मोटी चादर बिछी हुई है। चूड़धार की तलहटी में बसे क्षेत्र में कुदरत ने खूबसूरती को तो चार चांद लगा दिए हैं, मगर लोगों की मुश्किलें भी परवान पर हैं। हरिपुरधार-लवाणधार मार्ग से ग्रामीणों द्वारा एक महिला मरीज को कंधे पर उठाकर ढोने का वीडियो सामने आया है।
यह वीडियो इस बात की तस्दीक करता है कि पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण विकट परिस्थितियों में किस तरह से हिम्मत व साहस दिखा रहे हैं। विकट परिस्थितियों में अस्पताल पहुंचाने के लिए मरीज को कंधों पर उठाया जा रहा है। विभाग द्वारा सड़क की बहाली को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए जाते।
कई सालों से यह बात साबित होती रही है कि बर्फबारी के बाद दर्जनों पंचायतों में एमरजेंसी की स्थिति में क्या हालात होंगे। राजधानी समेत पर्यटक स्थलों पर तो स्नोकटर के जरिए सड़कों को बहाल करने की आधुनिक सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन रिमोट क्षेत्रों की कोई परवाह नहीं की जाती।
सिरमौर के साथ सटे शिमला जिला के चन्जाहा गांव से बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने महिला को हरिपुरधार पहुंचा दिया। इसके लिए बर्फ की मोटी चादर पर 15 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ा। उल्लेखनीय है कि सिरमौर के संगड़ाह उपमंडल में करीब 40 पंचायतें बर्फ की वजह से पूरी तरह प्रभावित हैं। एमरजेंसी की स्थिति में एयर लिफ्टिंग तो एक सपना ही है। यह तो पहाड़ी लोगों की हिम्मत है कि आपातकालीन स्थिति में खुद रास्ता ढूंढते हैं।
सवाल इस बात पर उठता है कि ट्राइबल क्षेत्रों को सरकार एयर लिफ्टिंग की सुविधा देती है, जहां प्राथमिक उपचार की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, लेकिन सिरमौर में तो पैदल ही रोगियों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में ढोकर लाना पड़ता है। जुटाई जानकारी के मुताबिक संगड़ाह उपमंडल में 132 किलोमीटर सड़कों पर बर्फबारी होती है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात क्या रहते होंगे।