रेणु /दीक्षा कश्यप /नाहन
देवी-देवताओं के प्रति अटूट आस्था से जुड़ी खबर दंग करने वाली है। नौहराधार क्षेत्र के चौकरवासी एक ऐसा इतिहास रचने में लगे हुए हैं, जिसे आने वाले समय में तोड़ पाना कठिन होगा। तीर्थस्थान उज्जैन में महाकाल के घर से 1600 किलोमीटर की दूरी तय कर पालकी में लाया जा रहा है। अब तक लगभग 400 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की जा चुकी है। 35 सदस्यों की टीम इस काज में जुटी हुई है। एक वक्त में दो व्यक्ति पालकी को उठाकर चलते हैं। टीम 15 जनवरी को मध्य प्रदेश के उज्जैन के लिए वाहनों से रवाना हुई थी। जहां पर ओम कालेश्वर जी का विशाल मंदिर है। इसी स्थान पर कावेरी व नर्मदा का संगम भी है।
चौकर क्षेत्र के भंगाड़ी गांव के 35 सदस्य अपना कार्य छोड़ कर मंगलेश्वर ज्योतिर्लिंग लेने गए हैं। खास बात यह भी है कि ज्योतिर्लिंग की पालकी को कहीं पर भी नीचे नहीं रखा जा रहा। बारी-बारी पालकी को उठाया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि करीब 25 दिन के भीतर ज्योतिर्लिंग देवभूमि के नौहराधार के चौकर क्षेत्र में पहुंच जाएगा। ज्योतिर्लिंग की स्थापना केनथा गांव में की जा रही है। स्थापना के दौरान विशाल भंडारे व यज्ञ का आयोजन भी प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि देवभूमि में इस तरह से ज्योतिर्लिंग को पहले शायद ही लाया गया हो।
यह है धारणा…
प्रचलित किदवंतियों के मुताबिक उज्जैन में शिवलिंग उस समय प्रकट हुआ था, जब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था और अपने अस्त्र-शस्त्र नदियों में अर्पित किए थे। पवित्र स्थान पर कालेश्वर ज्योतिर्लिंग का निर्माण स्वतः ही हुआ था। तब से ही देश के हरेक कोने में ज्योतिर्लिंग को इसी स्थान से ले जाया जाता है। मध्य प्रदेश में देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से दो ज्योतिर्लिंग में मौजूद है। एक उज्जैन में महाकाल के रूप में तो दूसरा ओम कालेश्वर में मंगलेश्वर के रूप में विराजमान है।
चूड़धार की तलहटी में नौहराधार…
लाखों लोगों की आस्था की प्रतीक चूड़धार चोटी की तलहटी में नौहराधार बसा हुआ है। चोटी पर भगवान शिरगुल का प्राचीन मंदिर स्थित है। आस्था के मुताबिक भगवान शिरगुल भी शिव के अवतार हैं।
यहां देखे वीडियो :
https://youtu.be/UVHCEdukcG0