रेणु कश्यप/नाहन
हालांकि अल्टीमेट लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है, लेकिन बेचड़ के बाग के रहने वाले नरेश कुमार को अब उस स्कूल में शिक्षा प्रदान करने का मौका मिला है, जहां तक पहुंचने के लिए उनके पांव में छाले पड़ जाया करते थे। राजकीय माध्यमिक विद्यालय बेचड़ का बाग में नरेश कुमार का चयन टीजीटी आर्टस के पद पर हुआ है।
नेट क्वालीफाई कर चुके नरेश का अंतिम लक्ष्य राजनीतिक विज्ञान में कॉलेज कैडर का सहायक प्रोफैसर बनने का है। लेकिन चाहते थे कि उस स्कूल में भी सेवाएं दें, जहां कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई की है। मध्यम परिवार से ताल्लुक रखने वाले नरेश का सपना बचपन से ही शिक्षक बनने का था। बेहद खतरनाक व जंगली रास्तों से नरेश 10 किलोमीटर की दूरी तय कर बेचड़ का बाग पहुंचा करते थे। रास्ते में गिरिनदी को भी पार करना होता था। तीन भाई-बहनों की पढ़ाई का जिम्मा अकेले पिता पर था। पढ़ाई करने के लिए मजदूरी तक करने से भी गुरेज नहीं किया।
टीजीटी बने नरेश ने बेचड़ का बाग स्कूल में जमा दो तक की पढ़ाई पूरी की। अब इच्छा है कि पाठयक्रम की पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को सामान्य ज्ञान व नैतिक शिक्षा का ज्ञान भी दिलाएं। अहम बात यह भी है कि बचपन से शिक्षक बनने का सपना देखने वाले नरेश ने पुलिस के सब इंस्पेक्टर, एचएएस (प्रारंभिक परीक्षा) व एलाइड की छंटनी परीक्षा को भी उत्तीर्ण किया है, मगर मंजिल शिक्षक बनने की ही थी, जिसे उन्होंने हासिल कर दिखाया है।
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