एमबीएम न्यूज़/शिमला
समाज में बहुत कम लोग होते हैं जो जीवन भर दूसरों के लिए जीते हैं, दुनिया से जाते वक्त भी दूसरों की ही सोचते हैं। ऐसी ही एक मिसाल प्रदेश में सीपीआईएम के संस्थापक कॉमरेड मोहर सिंह छोड़ गए है। बीती रात कॉमरेड मोहर सिंह का पीजीआई में देहांत हो गया चूंकि उनकी अंतिम इच्छा थी कि वो देह दान करे। लिहाजा उनके समर्थकों ने रातों-रात ही पार्थिव शरीर को पीजीआई चंडीगढ़ से आईजीएमसी शिमला पहुंचा दिया। आईजीएमसी में 2010 के बाद यह तीसरा देह दान हुआ है। इससे पहले दो लोगों के आईजीएमसी को निधन के बाद शव सौंपे गए थे। आईजीएमसी में 363 लोगों ने देह दान को लेकर पंजीकरण कराया हुआ है।
उल्लेखनीय है कि सिरमौर-शिमला जिला की सीमा पर कुपवी क्षेत्र के रहने वाले सीपीआईएम के भूतपूर्व महासचिव मोहर सिंह ने आम लोगों के लिए जीवन भर संघर्ष किया, यहां तक की हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से प्रोफेसर की नौकरी भी छोड़ दी। शनिवार सुबह पार्थिव शरीर को दर्शनों के लिए भी रखा गया। इसके बाद देह दान की औपचारिकताओं को पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने ही पूरा किया। कॉमरेड मोहर सिंह ने जीवन भर अविवाहित रहकर लोगों की समस्याएं उजागर करने का फैसला युवा अवस्था में ही ले लिया था।
हिमाचल प्रदेश महिला जनवादी समिति की अध्यक्षा संतोष कपूर का कहना है कि कॉमरेड मोहर सिंह के निधन से पार्टी को भारी क्षति पहुंची है। उन्होंने बताया कि कॉमरेड मोहर सिंह ने पार्टी को इस बात से बहुत पहले ही अवगत करवा दिया था कि उनके निधन के बाद शव को आईजीएमसी को सौंप दिया जाए, ताकि भविष्य में चिकित्सक इस पर शोध कर सकें। अगर संभव हो तो उनके अंग भी किसी जरूरतमंद के काम आ जाए। उधर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने कॉमरेड मोहर सिंह के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है। करीब 75 साल की उम्र में कॉमरेड मोहर सिंह ने दुनिया को अलविदा कहा, ताउम्र जन सेवा में ही बिताया। परिवार में भाई के बच्चों को उच्च कोटि के संस्कार देने का भी हर संभव प्रयास किया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस तरह की शख्सियत के चले जाने से समाज को गहरा आघात लगता है।
उधर मेडिकल अधीक्षक डॉ. जनक राज का कहना था कि देह दान की तमाम औपचारिकताओं को पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि बॉडी का इस्तेमाल शोध में होगा। उन्होंने कहा कि इस तरह की सोच हर एक इंसान को रखनी चाहिए। मेडिकल अधीक्षक के मुताबिक 363 व्यक्तियों ने देह दान का आवेदन किया हुआ है।
यह है पृष्ठभूमि
25 दिसंबर 1948 को गरीब किसान के परिवार में जन्मे मोहर सिंह ने कठिन परिश्रम करने के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से राजनीतिक शास्त्र में एमफिल की। 1974 में सीपीआईएम की सदस्यता ग्रहण की। इसी बीच विश्वविद्यालय में एसएफआई को गठित करने में भी अहम योगदान रहा। 1970 में जब पंजाब से अलग होकर प्रदेश में पार्टी का पुनर्गठन किया गया। पांच सदस्य तदर्थ कमेटी बनाई गई, तो उस कमेटी में कॉमरेड मोहर सिंह भी सदस्य रहे। प्रदेश में भारत की जनवादी नौजवान सभा को बनाने का श्रेय भी इन्हे ही हासिल है।
अविवाहित दिवंगत मोहर सिंह का जीवन बहुत ही सरल व साधारण रहा। प्रख्यात मार्क्सवादी चिंतक रहे, कैडर की सही पहचान करने की अद्भुत क्षमता भी हासिल थी। दिवंगत मोहर सिंह ने हारुल, पाप-दोष व सांचा विद्या इत्यादि पर कई शोध भी किए। 29 जनवरी 2019 को गेयटी थिएटर में दिवंगत मोहर सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए शोक सभा आयोजित की जाएगी। जिसमें सीपीआईएम के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी सहित अन्य नेता शामिल होंगे। राज्य सचिव डॉ. ओंकार शाद का कहना है कि यह सार्वजनिक श्रद्धांजलि सभा होगी।
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