दिनेश कुंडलस/नाहन
सिरमौर की वीरभूमि कहे जाने वाले कोलर गांव के तेजवीर सिंह ने आईटीबीपी में सिपाही के पद से सहायक कमाडेंट के रूतबे तक का सफर पूरा किया है। यह अन्य जवानों के लिए भी प्रेरणादायक है, क्योंकि विपरीत परिस्थितियों में भी तेजवीर ने नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई जारी रखी और इस पद पर पहुंचने में कामयाबी हासिल की। 27 जुलाई 1974 को कोलर में जन्में तेजवीर ने अपनी दसवीं की शिक्षा कोलर स्कूल से हासिल की। इसके बाद जमा दो माजरा से किया।
1994 में तेजवीर आईटीबीपी में भर्ती हो गया। बीटीसी भानु (रामगढ़) से अपनी बेसिक ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें पहली नियुक्ति कुल्लू में मिली। इसके बाद तेजवीर ने पत्राचार से बीए की डिग्री पूरी की। सफलता के लिए लगातार हाथ-पांव मार रहे तेजवीर को उस समय बड़ी कामयाबी मिली, जब वर्ष-2003 में उन्हें सब इंस्पेक्टर की परीक्षा में उत्तीर्ण घोषित किया गया। सब इंस्पेक्टर बनने के बाद उनकी पहली नियुक्ति नॉर्थ ईस्ट में हुई, जहां बोडो व उल्फा उग्रवादियों से लोहा लेने के साथ-साथ उन्होंने भारत-चीन बॉर्डर पर भी मुस्तैदी से अपनी डयूटी निभाई। इसके कुछ दिन बाद आईटीबीपी के ऑली स्थित युद्ध पर्वतारोहण एवं स्कीइंग संस्थान में इन्हें नियुक्ति मिली।
कमांडो कोर्स पहले कर चुके तेजवीर ने यहां अपनी सफलता की फेहरिस्त में दो और अध्याय जोड़े। यहां उन्होंने स्नो स्कीइंग व पर्वतारोहण की ट्रेनिंग ली। इसके बाद इसी संस्थान में अन्य परीक्षार्थियों को वो प्रशिक्षण देने लगे। इसके बाद दो साल तक अफगानिस्तान के भारतीय दूतावास में वह भारतीय राजदूत की सिक्योरिटी में तैनात रहे। यहां दो बार आत्मघाती हमलों का भी सामना किया। दोनों हमलों में खुद को बचाते हुए दूतावास पर हुए अटैक को भी अपनी टीम के साथ विफल कर दिया। हाल ही में उन्हें सहायक कमांडेंट पद पर पदोन्नत किया गया है।
सिपाही से इस पद पर पहुंचे तेजवीर का कहना है कि सफलता के लिए शॉर्टकट नहीं होता। हौंसलों व दृढ़ इच्छा शक्ति से कामयाबी मिलती है। अपनी कामयाबी का श्रेय उन्होंने अपने एक्स-सर्विस मैन पिता व माता के अलावा अपने उन परिजनों को दिया है, जो उन्हें हमेशा प्रेरित करते थे।
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