वी कुमार/मंडी
हिमाचल प्रदेश के सभी इलाकों में जल्द ही साईंटिफिक फारेस्ट्री शुरू हो जाएगी। इस बात के संकेत दिए हैं सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के चेयरमैन वीपी सिंह ने। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मॉनिटरिंग कमेटी ने शुक्रवार को मंडी जिला का दौरा किया। बता दें कि यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार द्वारा ग्रीन फैलिंग को शुरू करवाने को लेकर दायर की गई याचिका के बाद गठित की है। कमेटी के चेयरमैन रिटायर पीसीसीएफ (एचओएफएफद्) आईएफएस वीपी मोहन को बनाया गया है।
शुक्रवार को वीपी मोहन ने मंडी जिला के पनारसा रेंज का दौरा किया और यहां पर साईंटिफिक फारेस्ट्री की संभावनों के बारे में विस्तृत जानकारी लेकर रिपोर्ट बनाई। अब यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाएगी। इससे पहले उन्होंने सर्किल ऑफिस मंडी में वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक भी की। वीपी मोहन ने बताया कि प्रदेश के कांगड़ा जिला के नुरपूरए बिलासपुर जिला के भराड़ा और सिरमौर जिला की पौंटा रेंज में प्रयोग के तौर पर ग्रीन फैलिंग शुरू की गई है और उसके काफी सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। यहां पर ग्रीन फैलिंग का सारा काम इसी कमेटी की देखरेख में हो रहा है। यह वो इलाके हैं जो समुद्र तल से 1500मी से कम उंचाई वाले क्षेत्रों में आते हैं।
अब कमेटी 1500मी से अधिक उंचाई वाले क्षेत्रों में इस प्रयोग को करने जा रही है। वीपी मोहन ने कहा कि जंगलों को बंद रखकर कोई लाभ नहीं मिल सकता और यदि ग्रीन फैलिंग शुरू होती है तो इससे सरकार को भी राजस्व मिलेगा और जंगलों की देखभाल भी सही ढंग से हो सकेगी। वीपी मोहन ले बताया कि 25 वर्षों से प्रदेश कें जंगलों में सबसिडेरी सिल्वीकल्चर आपरेशन बंद थे। जिसमें थिनिंगए क्लिनिंगए वाउंडरी पीलर आदि काम के काम नहीं हो पा रहे थे। यदि यह सब दोबारा से शुरू हो जाते हैं तो जंगलों को एक नया स्वरूप मिल सकेगा। इस मौके पर उनके साथ वन अरण्यपाल मंडी उपासना पटियाल और सभी पांच वन मंडलों से डीएफओ और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
क्या है ग्रीन फैलिंग….
ग्रीन फैलिंग के तहत जंगलों में बेकार पड़े हरे पेड़ों को काटा जा सकता है। लेकिन 90 के दशक में इस पर प्रदेश में प्रतिबंध लग गया था। इस कारण प्रदेश के जंगलों का साईंटिफिक तरीके से विकास नहीं हो पा रहा। क्योंकि जो बेकार के पौधे या फिर उम्रदराज पेड़ हैं उन्हें हटाए बीना नई पौध की ग्रोथ नहीं हो पा रही। यदि ग्रीन फैलिंग को सुप्रीम कोर्ट से पूरी तरह अनुमति मिल जाती है तो फिर जंगलों में बेकार पड़े पेड़ों को हटाकर नई पौध लगाई जा सकती है और साईंटिफिक तरीके से जंगलों का विकास किया जा सकता है। जो बेकार के पौधे हटाए जाएंगे उनसे सरकार को राजस्व प्राप्त होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस संदर्भ में कमेटी गठित करके पूरी संभावनाओं को तलाशने का कार्य शुरू कर दिया है।
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