एमबीएम न्यूज/नाहन
धरातल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सांसद आदर्श ग्राम योजना बेमानी साबित हो रही है। शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद वीरेंद्र कश्यप ने 11 अक्तूबर 2014 को शुरू हुई इस योजन के तहत 2016 में सोलन के जगजीत नगर, 2017 में पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी के पैतृक गांव पुरुवाला व 2018 में शिमला के बलोग गांव को गोद लिया था। विडंबना है कि हालात वहीं हैं, जो गोद लेने से पहले थे। इस योजना के तहत अलग-अलग चल रही योजनाओं से बजट का कुछ हिस्सा लिया जाना था। इसके अलावा संबंधित जिला में कार्यरत औद्योगिक इकाईयों से कॉपोरेट सोशल रिस्पॉंसिबलिटी के तहत दो प्रतिशत का अनुदान मिलना था। ताकि इन गांवों की तस्वीर बदलने में फंड की कोई दिक्कत न आए।
पुरुवाला गांव के लिए योजना के तहत 8 करोड़ 14 लाख की 95 योजनाएं मंजूर कर ली गई। मगर 70 विकास कार्यों की फाइलें सरकारी कार्यालयों में घूम रही हैं। जबकि सरकार ने इन कार्यों को प्राथमिकता में शामिल किया था। हालांकि कुछ संतोषजनक बात यह है कि पुरुवाला में गंदे पानी की निकासी की लाइन को बिछाने का कार्य अंतिम चरण में है। पंचायत प्रधान अरफान अली का कहना है कि गोद लेने के बाद सांसद ने दोबारा गांव को नहीं देखा। कूड़ा-कचरा प्रबंधन के अलावा जन संरक्षण के तहत तालाब का निर्माण इत्यादि के वायदे हुए, जो कोरे साबित हो रहे हैं। सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत 65 विकास कार्यों व 30 घरों के निर्माण के लिए 8 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया।
समीक्षा बैठक में गांव के लिए कोई विशेष बजट न होने की बात कही जाती है। कुल मिलाकर योजना ने ग्रामीणों को मुंगेरी लाल के हसीन सपने ही दिखाए। अब 2019 का लोकसभा चुनाव आ चुका है। डोडरा क्वार से पांवटा साहिब तक का इलाका शिमला संसदीय क्षेत्र में आता है, तो साफ है कि अब सांसद साहब के पास फिर इस गांव में आने का समय नहीं होगा।