दिनेश कुंडलस/ शिमला
प्रसिद्ध कहावत है कि मां-बेटी गाने वाली और पिता-पुत्र बाराती। यह बात जयराम सरकार की पहली वर्षगांठ के जश्न को लेकर चयनित स्थल को लेकर सटीक साबित हो रही है। भाजपा ने बाकायदा एक साल पूरा होने को लेकर 27 दिसंबर को जश्न मनाने की तैयारी शुरू कर दी है। हैरानी का विषय है कि इस जश्न को मनाने के लिए एचपीसीए के धर्मशाला क्रिकेट ग्राउंड को आयोजन स्थल चुना गया है। बकायदा पीएम मोदी ने कार्यक्रम में पहुंचने को लेकर सहमति दी है। एचपीसीए ग्राउंड बीसीसीआई की संपत्ति है। कई वर्षों की मेहनत के बाद यह ग्राउंड बन कर तैयार हुआ है। अंतरराष्ट्रीय पटल पर धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम विश्व के सबसे सुंदर स्टेडियमों में से एक है। इस स्टेडियम में खेल जगत में हिमाचल को एक अलग पहचान दिलवाई है।
स्टेडियम में 22 – 25 हज़ार लोगों के बैठने की क्षमता है। ग्राउंड में लगी घास वर्षों की मेहनत के बाद करोड़ों रूपये खर्च कर विदेशों से आयात की गई है। ग्राउंड में बनी टर्फ विकेट व प्रैक्टिस पिचों के निर्माण में करोडो रूपए खर्च हुए है। ऐसे में प्रदेश की भाजपा सरकार का जश्न मनाने का यह फैसला खेल प्रेमियों के गले नहीं उतर रहा है। आयोजन से ग्राउंड की पिच व ग्रास को काफी नुकसान पहुंचेगा। सरकार की इसके पीछे क्या मंशा है इसे आमजन समझ नहीं पा रहा है। हालांकि एचपीसीए पर हमीरपुर के भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर का कब्ज़ा है। इसी के चलते शायद भाजपा सरकार इस बात का फायदा उठाना चाहती है। सरकार आयोजन पर होने वाले खर्च में भी बड़ी चतुराई से खर्चा बचाना चाहती है। क्योंकि स्टेडियम में पहले से ही बैठने के लिए कुर्सियों व सीढ़ियों का इंतजाम है। मगर स्टेडियम की सीटिंग कैपेसिटी से अधिक भीड़ समारोह में उमड़ी तो उसे बैठने के लिए अतिरिक्त इंतजाम करने पड़ेंगे। इसे ग्राउंड को नुक्सान पहुँचने की पूरी संभावना है।
सरकार को यदि आयोजन करना ही था तो वह कांगड़ा के किसी अन्य स्थान पर भी इस आयोजन को कर सकती थी। यही नहीं इस जश्न समारोह के कारण धर्मशाला से रणजी मैच को शिफ्ट करने की तैयारी भी चल रही है। 22 दिसंबर से धर्मशाला में हिमाचल व तमिलनाडु के बीच रणजी ट्रॉफी का 4 दिवसीय मैच खेला जाना है। हिमाचल ने अपने ग्रुप में अभी तक सारे रणजी मैच बाहरी राज्यों में खेले है। इस सीजन में तमिलनाडु के साथ होने वाले एकमात्र मैच की मेजबानी हिमाचल को मिली है। यदि सरकार जश्न समारोह धर्मशाला में ही मनाने को अड़ी रही तो मैच कहीं और शिफ्ट करना पड़ेगा। सरकार के इस जश्न समारोह के धर्मशाला स्टेडियम में मनाने के हिमाचल की राजनीति में दूरगामी परिणाम होंगे। जहां विपक्षी कांग्रसियों को बैठे बिठाए एक मुद्दा मिल जाएगा, वही सरकार को प्रदेश भर के खेल प्रेमियों की नाराजगी से दो-चार होना पड़ेगा। विगत विधानसभा चुनावों में पांच राज्यों में भाजपा की पहले ही किरकरी हुई है। आगामी लोकसभा चुनावो में भाजपा को इस नाराजगी की कीमत चुकानी पड़ सकती है। एचपीसीए इस मामले में कोई प्रतिक्रिया भेजती है तो लाजमी तौर पर प्रकाशित किया जायेगा।